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________________ नवमोऽध्यायः [ २०६ बावीसं परीसहा पएणता, तं जहा-छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयप० दंसप० मसगप० जाव अलाभप० एवं अविहबंधगस्स वि सत्तविहबंधगस्स वि। छव्विहबंधगस्स णं भंते ! सरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता? गोयमा! चोइस परीसहा पण्णत्ता ।बारस पुण वेदेइ। जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ । जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं सेजापरीसहं वेदेइ, जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेति णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ। एक विहबंधगस्स णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णता ? गोयमा! एवं चेव जहेव छव्विहबंधगस्स णं । एगविह बंधगस्स णं भंते! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णता ? गोयमा ! एकारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ, सेसं जहा छविहबंधगस्स। अबंधगस्स णं भंते ! अजोगिभवत्थकेवलिस कति परीसहा पण्णता ? गोयमा! एकारस्स परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ । जं समयं सीयपरीसहं वेदेति नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेति नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ । जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेजापरीसहं वेदेति, जं समयं सेजापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ। व्याख्या प्रज्ञप्ति श०८, उ०८, २०३४३.
SR No.022531
Book TitleTattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
PublisherLala Shadiram Gokulchand Jouhari
Publication Year1934
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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