________________
[ 9 ]
का अनुकरण है । अतएव सिद्ध हुआ कि भागमों का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये, जिस से सम्यग्दर्शन, ज्ञान और चारित्र की प्राप्ति होने पर निर्वाणपद की प्राप्ति हो सके।
श्री श्री श्री १००८ आचार्यवर्य श्री पूज्य पाद मोतीराम जी महाराज, उनके शिष्य श्री श्री श्री १००८ गणावच्छेदक तथा स्थविर पद विभूषित श्री गणपति राय जी महाराज, उनके शिष्य श्री श्री श्री १०८ गणावच्छेदक श्री जयराम दास जी महाराज और उनके शिष्य श्री श्री श्री १०८ प्रवर्तक पद विभूषित श्री शालिग्राम जी महाराज की ही कपा से उन का शिष्य में इस महत्त्वपूर्ण कार्य को पूर्ण कर सका हूँ ।
गुरुचरणरज सेवीजैनमुनि-उपाध्याय-आत्माराम.