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________________ तृतीयाध्यायः [ ८९ - महाविदेहे ...."मणुभाणं केविइयं कालं ठिई पगणता? गोयमा! जहरणेण अंतोमुहत्तं उक्कोसेण पुवकोडी आउभं पालेति। जम्बू० वक्षस्कार ४ सत्र ८५ छाया- महाविदेहे मनुजानां कियच्चिरं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? गौतम! जघन्येन अन्तर्मुहुन्त उत्कर्षेण पूर्वकोटि आयुष्कं पालयन्ति । प्रश्न - महाविदेह क्षेत्र में मनुष्यों की कितनी आयु होती है ? उत्तर- गौतम - वहां की जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ण आयु पूर्व कोटि होती है। संगति -पूर्व कोटि आयु को संख्यात वर्ष की आयु भी कहते हैं। भरतस्य विष्कम्भो जम्बूद्वीपस्य नवतिशतभागः। ३, ३२. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे भरहप्पमाणमेत्तेहिं खंडेहिं केवइयं खंडगणिए णं पण्णत्ते ? गोयमा! उअं खंडसयं खंडगणिएणं पएणत्ते । जम्बू० खंडयोजनाधिकार सूत्र १२५ छाया- जम्बुद्वीपे भगवन् ! द्वीपे भरतप्रमाणमात्रैः खण्डः कियान खण्ड गणितेन प्राप्तः १ गौतम! नवत्यधिक खण्डशतं खण्डगणितेन प्रज्ञप्तः। प्रश्न -भगवन् ! जम्बूद्वीप का भरतक्षेत्र किसनेवाँ भाग है ? उत्तर- गौतम ! एकसौ नव्वे वाँ भाग है। संगति- इन सूत्रों और आगम वाक्य के शब्द २ मिलते हैं। द्विर्धातकीखण्डे ।
SR No.022531
Book TitleTattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
PublisherLala Shadiram Gokulchand Jouhari
Publication Year1934
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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