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________________ सूत्रकृतांग में परमतानुसारी आत्म-स्वरूप की मीमांसा 75 36. श्री सूत्रकृताङ्गसूत्र, शीलाङ्काचार्यकृत टीका, लाखा बावल, प्रथम भाग, पत्राङ्क 72 37. सूत्रकृतांग सूत्र, 1.1.1.15 38. सूत्रकृतांग सूत्र, 1.1.1.15 39. 'नासतो विद्यते भावो, ना भावो विद्यते सतः।'-भगवद्गीता, 2.26 40. जातिरेव हि भावानां, विनाशे हेतुरिष्यते। यो जातश्च न नश्येत्, नश्येत् पश्चात्स केन सः।। -श्री सूत्रकृतांगसूत्र 1.1.1.15 पर घासीलाल जी महाराज की समयार्थबोधिनी नामक टीका में उद्धृत। 41. सूत्रकृतांग सूत्र, 1.1.1.17 42. श्री सूत्रकृतांग सूत्र, पूज्य घासीलाल कृत टीका, भाग-1, पृष्ठ 214 43. दीपो यथा निर्वृतिमभ्युपेतो नैवावनिं गच्छति नान्तरिक्षम्। दिशं न कांचिद् विदिशं न कांचित् स्नेहक्षयात् केवलमेति शान्तिम्।। एवं कृती निर्वृतिमभ्युपेतो नैवावनिं गच्छति नान्तरिक्षम्। दिशं न कांचिद् विदिशं न कांचिद् क्लेशक्षयात् केवलमेति शान्तिम्।।-सौन्दरनन्द, सर्ग 16, श्लोक 28-29 44. धम्मपद, 15.8 45. श्री सूत्रकृतांगसूत्र, 1.1.1.18, पूज्य घासीलालकृत समयार्थबोधिनी टीका, भाग प्रथम, पृ. 229 46. यथा घटादयो भावाः क्षणिकाः तथा आत्मापि क्षणिक एवेति क्षणिकत्वात् उत्पद्य सद्य एव __विनश्यति, ततो विनष्टेनात्मना कालान्तरभावि स्वर्गादिफलं कथमिव भोक्तुं शक्येत। क्षणरूपयोः क्रियाफलवतोः संबन्धाऽभावात्। कृतनाशाऽकृताभ्यागमदोषश्च स्यात्। -श्री सूत्रकृतांग सूत्र, 1.1.1.18, समयार्थबोधिनी टीका, भाग-1, पृष्ठ 230 47. (1) पुढवी आउ तेऊ य, तहा वाऊ य एगओ। चत्तारि धाउणो रूवं, एवमाहंसु आवरे।- सूत्रकृतांग, 1.1.1.18 (2)पृथिवी धातुरापश्च धातुस्तथा तेजो वायुश्चेति, धारकत्वात्पोषकत्वाच्च धातुत्वमेषाम्, 'एगओत्ति' यदैते चत्वारोऽप्येकाकारपरिणतिं बिभ्रति कायाकारतया तदा जीवव्यपदेशमश्नुवते, तथा चोचुः- “चतुर्धातुकमिदं शरीरं, न तद्व्यतिरिक्त आत्माऽस्तीति।-श्री सूत्रकृतांगसूत्र, 1.1.1.18 पर शीलांकाचार्य कृत टीका पत्रांक 81 48. द्रष्टव्य- श्री सूत्रकृतांगसूत्र, 1.1.1.18 पर शीलांकाचार्य कृत टीका पत्रांक 81-82 49. न सयं कडं ण अन्नेहिं, वेदयन्ति पुढो जिया। संगतियं तं तहा तेसिं, इहमेगेसिमाहिय।।- सूत्रकृतांग, 1.1.2.3 50. बृहद्रव्य संग्रह, 1.2
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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