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________________ vi जैन धर्म-दर्शन : एक अनुशीलन 4. जैनागम साहित्य में अहिंसा हेतु उपस्थापित युक्तियाँ 5. अपरिग्रह की अवधारणा 6. परिग्रह- परिमाणव्रत की प्रासङ्गिकता 7. पर्यावरण- संरक्षण में भोगोपभोग - परिमाणव्रत की भूमिका 8. प्रकीर्णक साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा 9. प्रतिक्रमण 5. (iv) तुलनात्मक आलेख 1. उमास्वातिकृत प्रशमरतिप्रकरण एवं उसकी तत्त्वार्थसूत्र से तुलना 391 2. 419 3. 432 4. 451 467 310 323 335 344 353 380 वीतराग और स्थितप्रज्ञ : एक विश्लेषण जैन और बौद्ध धर्म-दर्शन : एक तुलनात्मक दृष्टि जैन-बौद्ध वाङ्मय में वर्णाश्रम धर्म और संस्कार जैन आगम - परम्परा एवं निगम - परम्परा में अन्तःसम्बन्ध
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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