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________________ भद्रबाहु चरित्र संस्कृत हिन्दी अनुवाद सहित। इसमें अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहुस्वामीका चरित्र है तथा श्वेताघर और ढूंढिया मतकी उत्पत्तिका वर्णन है । मूलग्रंथ आचार्य रत्ननंदिका बनाया हुआ है और भाषानुवाद पं. उदयलाल काशलीवाल ने किया है। मूल श्लोक नीचे छोटे अक्षरोंमें और भाषा ऊपर मोटे अक्षरों में दी है । शुरू में दिगम्बरों और श्वेतांबरोंकी प्राचीनता अर्वाचीनताके | विषयमें २२ पृष्ठमें खुलासा किया है। न्योछावर चौदह आना मात्र ही है। पंचकल्याणक पाठ भाषा। इसमें चौवीस तीर्थंकरोंकी समुच्चय एक और गर्म, जन्म, तप, ज्ञान, मोक्ष, पांचौ कल्याणककी पांच पूजा न्यारी २ हैं, जिनमें एक २ पूजनमें चौवीस २ अर्घ हैं, जिनके विषे भगवान के पंचकल्याणककी तिथियां और माता पिता तथा कल्याणक नगरियोंके नाम दिये गये हैं । इस पाठके कर्ता कवि बखतावरलालजी हैं । इनकी कविता कैसी मनोहर है इसके लिखनकी आवश्यकता नहीं, क्योंकि इनके बनाये जिनदत्तचरित्र, कथाकोश इत्यादि ग्रंथोंको जिन्होंने पढ़ा होगा वे स्वयं समझ लेवेंगे । न्यो० छै आना मात्र ही है। अन्यपुस्तकोंके लिये हमारा सूचीपत्र मंगाकर देखें पता-बद्रीप्रसाद जैन-बनारस सिटी। Hanuman
SR No.022517
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhotelal Pandit
PublisherJain Bharti Bhavan
Publication Year1867
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size5 MB
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