SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाषा छंद महित | सल्लेखनां जोषिता ॥ २२ ॥ शङ्काकाङ्क्षाविचिकित्साऽन्यदृष्टिप्रशंसासंस्तवाः सम्यग्दृष्टेरतीचाराः ॥२३॥ व्रतशीलेषु पञ्च पञ्च यथाक्रमम् ॥ २४ ॥ बन्धवधच्छेदातिभारारोपणान्नपाननिरोधाः ॥ २५ ॥ मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहारसाकारमन्त्रभेदाः ||२६|| स्तेनप्रयोगतदाहृतादानविरुद्धराज्यातिक्रमहीनाधिकमानोन्मानप्रतिरूपकव्यवहाराः ॥ २७ ॥ पर ३९ चापाई । जिबानी में शंका करै । इह पर भव सुखवांक्षा धेरै ॥ रोगी मुनिकों देखि गिलान । मिथ्यादृष्टीगुण सनमान ॥१५ बचनद्वार ताकी युति करै । अतीचार पन समिति धेरै ॥ व्रत शीलनमें क्रम क्रम जान । पांच पांच जे कहे बखान ॥ १६ ॥ जीवन वांधे ताडे सोय । कान नाक छेदे जो कोय । मान अधिकतें भार जु धरे । अन्नपान अवरोधन करै ॥ १७ ॥ मिथ्याको उपदेश सु जान । गूढबात परको व्याख्यान ॥ झूठो लेख तनो विवहरै | परकी मूसधरोहर हरै ॥ १८॥ मंत्र पराय प्रघटै जोय । अतीचार पन सतके सोय ॥ चोरीको उपदेश सु देय । बस्तु चुराई मोल सु लेय ||१९||
SR No.022517
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhotelal Pandit
PublisherJain Bharti Bhavan
Publication Year1867
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy