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________________ 1. वायु आकाश पर स्थित है। 2. समुद्र वायु पर अवस्थित है। 3. पृथ्वी समुद्र पर स्थित है। 4. त्रस-स्थावर जीव पृथ्वी पर स्थित हैं। 5. अजीव जीव पर प्रतिष्ठित हैं। 6. जीव कर्म से प्रतिष्ठित है। 7. अजीव जीव के द्वारा संगृहीत हैं। 8. जीव कर्म के द्वारा संगृहीत हैं। आकाश किसी पर प्रतिष्ठित नहीं, वह स्वप्रतिष्ठित है। भगवती सूत्र के उपर्युक्त विवेचन का सारांश यही है कि त्रस-स्थावर आदि प्राणियों का आधार पृथ्वी है, पृथ्वी का आधार उदधि (समुद्र) है, उदधि का आधार वायु है, वायु का आधार आकाश है और आकाश स्वप्रतिष्ठित है। प्रश्न हो सकता है कि वायु पर समुद्र और समुद्र पर पृथ्वी कैसे ठहर सकती है? इस प्रश्न का स्पष्टीकरण करते हुए कहा गया है-कोई पुरुष वैज्ञानिक ढंग की बनी थैली को हवा भरकर फुला दें। फिर उसके मुँह को फीते से मजबूत गांठ देकर बांध दें तथा इस थैली के बीच के भाग को भी बांध दें। ऐसा करने से थैली में भरी हुई हवा के दो भाग हो जाएँगे, जिससे थैली डुगडुगी जैसी लगेगी। उसके बाद थैली का मुंह खोलकर ऊपर के भाग में भरी हवा को निकाल दें और उसकी जगह पानी भरकर फिर थैली का मुंह बन्द कर दें। इसके बाद बीच का बंधन खोल दें। ऐसा करने पर जो पानी थैली के ऊपर के भाग में भरा गया है, वह ऊपर के भाग में ही रहेगा और नीचे के भाग में जो वायु है, पानी उसके ऊपर ही ठहरेगा, नीचे नहीं जा सकता, क्योंकि ऊपर के भाग में जो पानी है, उसका आधार थैली के नीचे के भाग की वायु है।
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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