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________________ 204 के लिए घुड़दौड़, सांडों एवं मुर्गों की लड़ाई आदि में इन पशुओं को जो यातनाएँ दी जाती हैं, उनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इस प्रकार भोजन, वस्त्र और मनोरंजन मात्र के लिए मनुष्य पशु-पक्षियों के साथ क्रूर व्यवहार कर रहा है। 3. फैशन सुख-सुविधा हेतु क्रूरता फैशन और सुख-सुविधाओं में वृद्धि हेतु भी मनुष्य की क्रूरता पशु-पक्षियों के प्रति दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अंगोरा वस्त्र खरगोश अथवा बकरे-बकरियों की तांत से बनाया जाने वाला वस्त्र है। इसी तरह शहतूत शाले तिब्बती कुरंग (मृग) के ऊन से बनाई जाती है। इसी तरह फर के कोट आदि के लिए मिंक, खरगोश आदि मुलायम पशुओं की खाले काम में ली जाती हैं। एक रेशमी साडी की प्राप्ति के लिए 3462 रेशमी कीट मौत के घाट उतार दिये जाते सौन्दर्य प्रसाधनों से सुन्दर लगने की लालसा पूर्ति लाखों जीवों की हिंसा से होती है। शेविंग क्रीम एवं शृंगार प्रसाधनों के बनाने में लार्ड का उपयोग होता है। सूअर, भेड़ एवं मवेशी के इर्द-गिर्द लिपटी वसा को 'लार्ड' कहते हैं। त्वचा क्रीमो के लिए पशुओं के गर्भाशय से निकाले गये प्लेसेन्टा का प्रयोग होता है। शैम्पू आदि के परीक्षण के लिए प्रयुक्त सैकड़ों खरगोश अन्धे हो जाते हैं। इसी तरह टूथपेस्ट, नेलपॉलिश, नेलपॉलिश रिमूवर, लिपिस्टिक आदि लाखों जीवों की कब्रगाह पर बनते हैं। 4. औषधियों के निर्माण में पशु हिंसा औषधियों के निर्माण में भी पशु-पक्षियों के साथ क्रूर व्यवहार खुलकर होता है। स्वस्थ पशुओं को दवाइयों से बीमार बनाकर उन्हें भिन्न-भिन्न दवाइयां देकर यह देखा जाता है कि किस औषधि का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है। दवाइयों में पशुओं की चर्बी, रक्त, .
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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