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________________ 203 पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी बंगाल, बिहार, राजस्थान के क्षेत्र का कुछ मामूली प्रतिशत ही वन क्षेत्र हैं। स्पष्टतः यह परिलक्षित होता है कि जनसंख्या घनत्व के बढ़ने के साथ वनीय क्षेत्र कम होता चला जाता है और पशु-पक्षियों के इस प्राकृतिक आवास के नष्ट हो जाने से उनकी प्रजातियों व उनकी संख्या में निरन्तर कमी आती जा रही है। भारत में बाघ, सोहन चिड़िया, सुनहरी गरुड़, बतख, कश्मीरी बारहसिंघे, कस्तूरी मृग, जंगली भैंसे, घड़ियाल, राजहंस, सफेद चीते एवं बब्बर शेर, सफेद हाथी, सफेद कौवे आदि वन्य जीवों की प्रजातियां या तो लुप्त हो गई हैं या ये विलुप्ति के कगार पर हैं। 2. भोजन, वस्त्र एवं मनोरंजन हेतु क्रूरता मांसाहार की लालसा पशु-पक्षियों के प्रति क्रूरता का जीवन्त उदाहरण है। 8 मार्च, 1997 को दैनिक नवभारत पत्र में एक शीर्षक 'मुझे कल काटा जाएगा, आप आमंत्रित हैं, राजधानी के मांस विक्रेताओं द्वारा नृशंसता की इंतहा' मानवीय क्रूरता की पराकाष्ठा को दिखाने वाला एक समाचार था। जो पशु शुद्ध शाकाहारी हैं, जो हमारे लिए अपना खून-पसीना एक करते हैं, उसे स्वाद के लिए टुकड़े-टुकड़े कर अपने पेट में डालना एक जघन्य और घृणित कार्य है। वस्त्र आदि के लिए रेशम के कीड़ों की खेती तथा बाघ, सांप आदि की खालों के प्रयोग से फर का कोट आदि ने लाखों पशु-पक्षियों को मनुष्य की क्रूरता का शिकार बनाया है। जानवरों की खाल के उपयोग के व्यामोह ने बाघ, तेंदुए, हिरण, मगरमच्छ, सांप एवं सुंदर पंखों वाले बहुत से पक्षी असमय में ही मनुष्य की क्रूरता के शिकार आज भी होते जा रहे हैं। मनोरंजन के लिए क्रूरताएँ कितने वेष बदलकर समाज में प्रवष्टि हो रही है, उसका कोई लेखा-जोखा हमारे पास नहीं है। मनोरंजन
SR No.022500
Book TitleJain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRujupragyashreeji MS
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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