SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ चरमतीर्थपतिश्री महावीरस्वामिने नमः ॥ ॥पू. लब्धि-भुवनतिलक-भद्रंकरगुरुभ्यो नमः ॥ शुभाशिष : पू. सूरिमंत्र आराधक आचार्यश्रीमद्विजय पुण्यानंदसूरीश्वरजी महाराजा प्रेरणा : गणिवर विक्रमसेनविजय म.सा. ज्ञानद्रव्यनुं दीधुं दान... उपकार मानीये तमारो महान... अनुमोदक: शेठ कल्याणजी सोभागचंद जैन पेढी पिंडवाडा, स्टे. शिरोही रोड (राजस्थान) पांच प्रकार छे जेहना, 1 50hddad भेद एकावन तासो रे, श्री आदीश्वराय नमः लाल ॐ शुभाशिष :पू. सूरिमंत्र आराधक आचार्यश्रीमद्विजय पुण्यानंदसूरीश्वरजी महाराजा अनुमोदक: श्री तवाव जैन संघ (राजस्थान) - 03 K gagici | gdGIGI जाणीने पूजे सदा, दलते लहे केवल खासो रे. I NAAMAAAAAAAAAAM पू. साध्वीवर्या सरस्वतीश्रीजी म.नी प्रेरणाथी रीझन्ट जैन श्राविका संघ-सुरत श्री मणीभद्र रेसीडन्सी श्राविका संघ पाल, सुरत AAAAA A AAAAA RA पू. साध्वी धर्मज्योतिश्रीनी प्रेरणाथी श्री आदिनाथ जैन चेरिटेबल ट्रस्ट वलसाड 0.00 0.00 0.000
SR No.022496
Book TitleTattvanyaya Vibhakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhisuri, Bhadrankarsuri, Vikramsenvijay
PublisherLabdhibhuvan Jain Sahitya Sadan
Publication Year2013
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy