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________________ -४५]. मायावादविचारः १४९ प्रथमहेतोर्ब्रह्मणा व्यभिचारात्। कुतः 'सर्वप्रत्ययवेद्ये वा ब्रह्मरूपे व्यवस्थिते ' (ब्रह्मसिद्धि ४-३ ) इति स्वयमेवाभिधानात् । तस्य वेद्यत्वेऽपि जडत्वाभावात् । द्वितीयहेतोरसिद्धत्वाच्च । कथम्। तच्चैतन्यस्योत्पत्तिमखाभावेन हेतोरसिद्धत्वात् । तदुत्पत्तिमत्वाभावः कथम्।-'नित्यं ज्ञानमानन्दं ब्रह्म'-इति श्रुतेः। प्रमित्यादिकं नोत्पत्तिमत् चिद्रूपत्वात् ब्रह्मस्वरूपवदित्यनुमानाञ्च । जातिदूषणाच्च । कुतः प्रत्यनुमानेन प्रत्यवस्थानं प्रकरणसमा जातिरिति वचनात् । अपि च । 'सर्व वै खल्विदं ब्रह्म', 'पुरुष एवेदं यद् भूतं यच्च भाव्यम्' इत्यादिभिः श्रुतिभिः प्रपञ्चस्य ब्रह्मात्मकत्वसिद्धिः । जडत्वादिति स्वरूपासिद्धो हेतुः स्यात् । [४५. प्रपञ्चमिथ्यात्वनिषेधः। ]. किं च । प्रपञ्चो मिथ्या इत्यसत्त्वं प्रसाध्यते अनिर्वचनीयत्वं वा। प्रथमपक्षे मायावादिनामपसिद्धान्तः२ शून्यवादिमतप्रवेशश्च । द्वितीयपक्षे अनुमान है। किन्तु यह उचित नही । प्रमिति के समान ब्रह्म भी ज्ञात होता है - जैसे कि कहा है -- ' सब प्रत्ययों से ब्रह्मरूप ही ज्ञात होता है', अतः ब्रह्म के समान प्रमिति को भी चेतन समझना चाहिए । प्रमिति आदि उत्पन्न होती है यह कथन भी ठीक नही क्यों कि चैतन्य कभी उत्पन्न नहीं होता, नित्य होता है - जैसे कि कहा है - नित्य ज्ञान और आनन्द ही ब्रह्म का स्वरूप है । प्रपंच को ब्रह्म का ही रूप बतलानेवाले उपनिषद्-वचन पहले उद्धत किये हैं उन से भी प्रपंच का जड होना असत्य सिद्ध होता है। प्रपंच जड नही है अतः वह मिथ्या भी नही है। ४५. प्रपञ्च मिथ्या नही है-वेदान्ती प्रपंच को मिथ्या कहते हैं तब उन का तात्पर्य प्रपंच को असत् कहने का है या अनिर्वचनीय कहने का है ? वे प्रपंच को असत् नही मान सकते क्यों कि यह उन के मत के विरुद्ध - शन्यवाद का समर्थन होगा। रस्सी में सांप की प्रतीति १ जातिदूषणं कुतः प्रत्यनुमानात् । अस्मत्कृतानुमानं संगृह्य प्रत्यवस्थानं क्रियते यतः संशया दिव्यवच्छेदाय परानपेक्षत्वात् परेण प्रोक्तं प्रमित्यादिकं जडं वेद्यत्वात् इति प्रत्यनुमानं प्रकरणसमा जातिः । २ मायावादिमते प्रपञ्चस्य असत्त्वं न विद्यते ।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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