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________________ -४३] मायावादविचारः १४१ स्वरूपत्वात् प्रसिद्धाभाववदिति। अक्षानं धर्मि अर्थावारकं न भवति अद्रव्यत्वात् विज्ञानवत् । ननु अज्ञानमभावो न भवति उपादानकारणत्वात् तन्त्वादिवदिति अज्ञानस्य अभावत्वाभाव इति चेन्न । अत्रापि हेतोरसिद्धत्वात् । तत् कुतः अज्ञानस्य उपादानकारणत्वानुपपत्तः। तथा हि। वीतं रजतादिकम् अज्ञानोपादानकारणकं न भवति तदन्वयव्यतिरेकानुविधानरहितत्वात् पटादिवत्। तथा वीतं रजतादिकं नाज्ञानोपादानकारणकं तत्रासमवेतत्वात् पटादिवदिति । ननु पटस्याप्यज्ञानोपादानकारणत्वाभ्युपगमात् साध्यविकलो दृष्टान्त इति चेन्न। पटस्याज्ञानो. पादानकारणत्वानुपपत्तेः। कुतः वस्त्रं धर्मि तन्तूपादानकारणमेव तदन्वयव्यतिरेकानुविधायित्वात् तत्रैव समवेतत्वात् व्यतिरेके संविदादिवदितिर प्रमाणद्वयसद्भावात् । तस्मादज्ञानं धर्मि अभावो भवतीति साध्यो धर्मः प्रतियोगिनिषेधरूपत्वात् नञ्पूर्वपदवाच्यत्वाच्च प्रसिद्धाभाववदिति तद्विपक्षसिद्धिः। बाह्य इन्द्रियों से ज्ञात होता । वह अभाव के समान ही निषेधरूप है अतः अभावात्मक है। अज्ञान पदार्थ का आच्छादक नही हो सकता क्यों कि वह कोई द्रव्य नही है । अज्ञान चांदी का उपादान कारण नही है यह मानने का कारण यह भी है कि चांदी और अज्ञान में अन्वयव्यतिरेक का कोई सम्बन्ध नही पाया जाता ( अज्ञान हो तो चांदी होती है, न हो तो नही होती - ऐसा सम्बन्ध नही पाया जाता )। वस्त्र के समान चांदी भी अज्ञान में सनवेत नही है अतः वह अज्ञान से उत्पन्न नही हो सकती। मायावादी वस्त्र को भी अज्ञान से उत्पन्न मानें यह भी उचित नही क्यों कि वस्त्र का उपादान कारण तन्त हैं यह प्रसिद्ध है। तन्तु और वस्त्र में अन्वयव्यतिरेक सम्बन्ध पाया जाता है, वस्त्र तन्तुओं में ही समवेत है अतः तन्तु ही वस्त्र के उपादान कारण हैं। तात्पर्य यह है कि वस्त्र के समान प्रस्तुत चांदी भी अज्ञान से उत्पन्न नही हो सकती। अज्ञान निषेधरूप है अत: उसे अभावात्मक मानना चाहिए - अ-ज्ञान इस शब्द में ही ज्ञान का अभाव यह अर्थ स्पष्ट है। १ अभावस्तु पदार्थरूपो न अतः आवारको न । २ यत्तु तंतूपादानकारणकं न भवति तत् तदन्वयव्यतिरेकानुविधायि न भवति यथा संविदादि । ३ अज्ञानं अभावो न भवति इति अनुमानस्य ।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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