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________________ १२८ विश्वतत्त्वप्रकाशः [४१ संस्कारोवोधमन्तरेणानुत्पद्यमानत्वेऽपि स्मरणत्वाभावात् । तस्माद् वीतं रजतज्ञानं स्मरणं न भवति चक्षुर्व्यापारान्वयव्यति रेकानुविधायित्वात् विशदावभासित्वात् पुरोवर्तिशुक्लभासुररूपवस्तुविषयत्वात् तदंशरहितत्वात् संप्रतिपन्नप्रत्यक्षवत्। ननु पदश्रवणात् पदार्थस्मरणे इह घटो नास्तीत्यत्र प्रतियोगिस्मरणे च तदंशरहितत्वेऽपि स्मरणत्वसद्भावात् ताभ्यां हेतोय॑भिचार इति चेन्न। तत्रापि तदंशज्ञानसभावात् । तथा हि । अनेन शब्देनायमर्थो वाच्य इति प्राक्संकेतितशब्दश्रवणात् अनेन शब्देन सोऽर्थो अभिहित इति प्रासंकेतिते एवार्थे तदंशग्रहणत्वेनैव स्मरणस्योत्पत्तिदर्शनात् । इह भूतले घटो नास्तीत्यत्रापि प्राग्दृष्टघटसजातीयघटो नास्तीति तदंशग्रहणत्वेनैव स्मरणस्योत्पत्तिदर्शनाच्च । केवलं तच्छब्दोच्चारणं न श्रूयते । किं च । ' यह कुछ है ' तथा ' यह चांदी है ' ऐसे दो भागों में यह ज्ञान नही होता। दूसरे, संस्कार के उद्बोधन से होनेवाला ज्ञान स्मरण ही हो यह आवश्यक नही - प्रत्यभिज्ञान भी हो सकता है - ( यह वही है इस प्रकार पहचानने में भी संस्कार का उद्बोधन होता ही है)। 'यह चांदी है ' ऐसा ज्ञान स्मरण नही हो सकता क्यों कि चक्षु के प्रयोग से यह ज्ञान प्राप्त होता है, स्पष्टता से प्रतीत होता है, सामने पडी हुई चमकीली वस्तु (सीप ) ही इस का विषय है तथा 'वह वस्त' इस प्रकार का यह ज्ञान नही है - (ये सब बातें स्मरण में सम्भव नही हैं )। शब्द के सुनने पर पदार्थ का स्मरण होता है अथवा 'यहां घट नही है ' इस प्रकार अभावरूप ज्ञान में जो स्मरण होता है इन में भी · वह वस्तु ' इस प्रकार का ज्ञान नही होता – यह स्पष्टीकरण भी उचित नहीं । ' इस शब्द का यह अर्थ है ' ऐसा संकेत ज्ञान होने पर उस शब्द के सुनने से ' इस शब्द से वह अर्थ कहा गया ' ऐसा ज्ञान होता है – इस स्मरण में 'वह अर्थ' यह भाग विद्यमान ही है। इसी तरह 'यहां घट नही है' इस ज्ञान में भी 'पहले वह घट देखा वैसा यहां यही है' इस प्रकार 'वह घट' यह भाग विद्यमान ही है - यह वह है' ऐसा स्पष्ट नही कहा जाता इतना ही १ तादृशं रजतम् इति प्रत्यभिज्ञानमेव न तु स्मरणम् । २ स्मरणांशरहितत्वात् । ३ घटाद्यंश। ४ पदार्थस्मरणप्रतियोगिस्मरणाभ्याम् ।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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