SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका. जिस स्तोत्रको सुनकर पात्रकेशरी सरीखे भिन्नधर्मी नैयायिक दिग् तत्काल जैनमतावलम्बी हो गये और कुछ दिनमें जैन न्याय समुद्र, करके जैनाचायोंमे परम पूजनीय विद्यानन्दि नामके जैनाचार्य होकर अष्टशती भाष्यपर भिन्नधर्मी नैयायिक विद्वानोंदे गर्वको सर्व..-...अष्टसहस्री नामकी आठ हजार श्लोकोंमें टीका रची और उस टीकापर लघुसमन्त भद्राचार्यने ५ हजार श्लोकोंमें पदभंजिका नामका टिप्पणिग्रन्थ बनाया. तथा जिस स्तोत्रपर न्याय केशरी भट्टालङ्कदेवने अष्टशती नामका भाष्य और सिद्धान्तचक्रवर्ती वसुनन्दि आचार्यने १,००० श्लोकोंमें टीका रची है वह ही 'आप्तमीमांसा' नामका स्तोत्र जिसको देवागमस्तोत्र वा देवागमन्याय भी कहते हैं. आपके सन्मुख है. पाठक महाशय! यह देवागमन्याय क्या है आप जानते हैं ? यह कलिकालगंणंधरस्वरूप श्रीमत्समन्तभद्रस्वामीने तत्त्वार्थसूत्रपर ८४,००० श्लोकमयगन्धहस्त हमाभाष्य रचतेसमय जो मङ्गलाचरण किया था, वही मङ्गलाचरण उक्त नामोंसे प्रसिद्ध है. अब आपको विचार करना चाहिये कि, जिनके बनाये हुये १०५ श्लोकोंकी वा ११५ श्लोकोंकी इतनी गंभीरता है कि, बडी २ टीकायें बन गई. उनके रचे हुये महाभाष्यकी कितनी गंभीरता होगी? परन्तु खेद है कि, प्राचीन कालमें म्लेच्छराजावोंके अत्याचार और जैनविद्वेषी भिन्नधर्मी विद्वानोंके सदाचारसे जैनधर्मके लक्षावधि ग्रन्थ नष्ट होगये. उनमें उक्त गन्धहस्त महाभाष्य भी लुप्त हो गया. इस महाभाष्यका कोई भी मनुष्य पता लगाकर दर्शनमात्र करा देगा उसको मुम्बयीके श्रेष्ठिवर्य माणिकचन्द पानाचन्दजीने ५००) रु० तत्काल ही इनाम देनेका इस्तहार दिया है परन्तु उसके दर्शन कहां ? वह तो महाभाष्य है. परन्तु वर्तमानमें टीकावोंके सिवाय इस स्तोत्रकी प्राप्ति भी प्रायः दुर्लभ है. इस कारण हमने इसको जहांतक बना कई प्राचीन प्रतियोंसे शुद्ध करवाकें छपाया है. दृष्टिदोष वा अल्पज्ञतासे अशुद्ध छप गया हो तो पाठक महाशय क्षमापूर्वक इसकी टीकावोंसे शुद्ध कर लेवें. मुम्बई, प्रकाशक. ता० ८-६-१९०४ ईखी. J.
SR No.022460
Book TitleAapt Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalaram Digambariya Jain
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1904
Total Pages32
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy