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________________ NARARIRATRAIशारा . अध्यात्मयोगी पूज्य श्री मानन्दघमजी महाराज रचित ॐ श्रीनमिनार्थाजनस्तवन ॥ 122222222222222 [राग-आशावरी] . (धन धन सम्प्रति साचो राजा.........ए देशी।) . षट् दरिसण जिन अंग भणी जे, न्यास षडङ्ग जो साधे रे । नमिजिनवरना चरण उपासक, षट् दरिसण आराधे रे ॥ षट् दरिसण० [१] जिन सुर पादप पाय वखाणु, साङ्खय जोग दोय भेदे रे । आतमसत्ता विवरण करतां, लहो दुग अङ्ग अखेदे रे ।। षट् दरिसण• [२] भेद अभेद सौगत मीमांसक, जिनवर दोय कर भारी रे । लोकालोक अवलम्बन भजीए, गुरुगमथी अवधारी रे॥ षट् दरिसण० [३] लोकायतिक कुख जिनवरनी, अंश विचारी जो कीजे रे। तत्त्व विचारसु धारस धारा, गुरुगम विण केम पीजे रे ॥ षट् दरिसण• [४]
SR No.022428
Book TitleShaddarshan Darpanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherGyanopasak Samiti
Publication Year1976
Total Pages174
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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