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________________ चन्द्रानन-वारिषेरण-वर्द्धमान ये चारों शाश्वत जिनबिम्बों की, श्री वासुपज्यस्वामी तथा पार्श्वनाथ जिनबिम्बों को प्रतिष्ठा। (३४) वि० सं० २०३२ मिगसर शुक्ला-१० दिनांक १३-१२-७५ । जोधपुर (मारवाड़) राजस्थान । जोधपुर नगर में श्री तपागच्छ उपासरा खेतरपालो चोतरा के जिन मन्दिर में नूतनपरिकर युक्त श्री पार्श्वनाथ जिन बिम्ब की प्रतिष्ठा। (३५) वि० सं० २०३२ माघ शुक्ला-७ दिनाङ्क ७-२-७६ । जोधपुर (मारवाड़) राजस्थान । जोधपुर नगर में नागोरी दरवाजा के बाहर मुहताजी का श्री पार्श्वनाथ जिन मन्दिर में प्राचीन मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान्प्रादि नव जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा। (३६) वि० सं० २०३२ फाल्गुन शुक्ला २ दिनाङ्क ३-३-७६ । खीमेल में श्री नूतन पावापुरी मन्दिर में श्री महावीर स्वामी जिन बिम्ब की, श्री गौतमस्वामी तथा श्री सुधर्मास्वामी आदि की प्रतिष्ठा । பசுவது
SR No.022428
Book TitleShaddarshan Darpanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherGyanopasak Samiti
Publication Year1976
Total Pages174
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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