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________________ पुल द्रव्य. (१७) दो स्पर्श, ) हो वह परमाणु द्रव्य समझना. यहां कोइ शंका करे कि परमाणु द्रव्य दृश्य नहीं है उस को कैसे मानना ? उत्तरजो घट पट शरीरादि कार्य दृश्य है, प्राय है, और रूपी है इस लिये इसके संबंधका कारण परमाणु है वह अति सूक्ष्म है इन्द्रियोंद्वारा अा है परन्तु रुपी है. क्योंकि अरुपसेि रुपी कार्य नहीं होता. परमाणु रुपी है इसलिये इसका स्कंध भी रूपी होता है और आकाशप्रदेश अरुपी है तो उसका स्कंध भी अरुपी है. वास्ते परमाणु मानना चाहिये। परमाणुके दो प्रदेशीस्कंध, अनन्त हैं, और छूटे परमाणु भी अनन्त हैं. वे स्कंधमें संमिलित होते हैं. ओर स्कंधमें मिले हुवे परमाणुरूपमें छूटे भी होते हैं. इनकी वर्गणा अठ्ठाईस प्रकार से हैं. जिसका स्वरुप " कर्म प्रकृति ग्रन्थ " से देख लेना. इस तरह केवल एक परमाणु भी अनन्त हैं. दो मिलके स्कंधपने को प्राप्त हुवे भी अनन्ते है, एवं संख्यात अणुके स्कंध भी अनन्ते हैं. असंख्यात अणुके स्कंध भी अनन्ते हैं और अनन्ते अणुके स्कंध भी अनन्ते हैं. ये जो स्कंध हैं वे एक आकाश प्रदेश को अवगाह करके रहते है और यावत् असंख्याते आकाश प्रदेश भी अवगाह करके रहते हैं. परन्तु एक वर्गणा की अवगाहना अंगुलके असंख्यातवें भाग है इससे जादा नहीं और अनन्त वर्गणा मिलनेसे अंगुल, हाथ, गाउ और योजनादि की अवगाहना भी होती है. धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय और फुट्लास्तिकाय ये चार द्रव्य अचेतन, अजीव, और ज्ञानरहित है. -
SR No.022425
Book TitleNaychakra Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghraj Munot
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1930
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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