SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तभंगी सक् लादेश. (१९१) वस्तु नामादिपर्याय युक्त है. इसलिये नामादि निक्षेप भी इसी ऋजुसूत्र नयके भेदमें है. नामादितीन निक्षेप द्रव्य है. और भावनिक्षेप है वह भाव है. यह व्याख्या कारण, कार्य को विभाग करने के लिये है. परन्तु सामान्यरूप से वस्तु में चारनिक्षेप है. वे भाव धर्मपने हैं. और स्व स्वकार्यकर्ता हैं. दिगम्वराचार्य ऋजुसूत्र के दो भेद कहते हैं . ( १ ) सूक्ष्मऋजुसूत्र ( २ ) स्थूलऋजुसूत्र. वर्तमानकाल का एक समयग्राही सूक्ष्म ऋजुसूत्रनय है और वहुकालिक स्थूलऋजुसूत्रनय है. यह कालापक्षी भाव है. इसलिये इस को भावनय कहते हैं. और योगालम्बीपने बाह्य है इसलिये द्रव्यनय में भी इसकी गवेषणा की है । इति ऋजुसूत्रनयः 64 9 शप क्रोशे " शपनमाद्दानमिति शब्दः शपतीति वा आह्वानयतीति शब्दः, शप्यते हूयते वस्तु अनेनेति शब्दः, तस्यशब्दस्य यो वाच्योऽर्थस्तत्परिग्रहात्तत्प्रधानत्वान्नयशब्दः, यथा कृतकृत्वादित्वादिकः पंचम्यन्तः शब्दोपि हेतुः । श्रर्थरूपं कृतकत्वमनित्यत्वगमकत्वान्मुख्यतया हेतुरुच्यते उपचारतस्तु तद्वाचकः कृतकत्वशब्दो हेतुरभिधियते एवमिहापि शब्दवाच्यार्थपरिग्रहादुपचारेण नयोऽपि शब्दो व्यपदिश्यते इति भावः । यथा ऋजुसूत्रनयस्वाभीष्टं प्रत्युत्पन्नं वर्त्तमानं तथैव इच्छत्यसौ शब्दनयः । यद्यस्मात्पृथुबुघ्नोद रकलितमृन्मयं जलाहरणादिक्रियाक्षमं प्रसिद्धघटरूपं भावघटमेवेच्छत्यसौ न तु शेषात् नामस्थापनाद्रव्यरूपान् त्रीन् घटानिति । शब्दार्थप्रधानो होषनयः चेष्टालक्षणश्च घटप्राब्दार्थो “ घट चेष्टायां " घटते इति
SR No.022425
Book TitleNaychakra Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghraj Munot
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1930
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy