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________________ ५ एली ( १४२ ), - मोमो मे अवस्तिमा बतलाया है। टोका-टिप्पणकारने इस अर्थ उज्जयिनी नगरी किया है। काहायवेव ( पृ ४४)- महाराष्ट्र प्रदेश सतारा जिले में कोइना और कृष्णा नदीके संपर स्थित है। सोमवेवने. करहाटको एक सोभाग्यशाली देश बतलाया है और उसमें स्थित एक विशाल 'मोशालाका सुन्दर वर्णन किया है। कालीप्से ( पृ० १४०,२०८,२०९)- सोमदेवने काकन्दीको एक बहुत बड़ा व्यापारी केन्द्रः बतलाया है और उसे नोवें तीर्थशार पुष्पकतके जायल्याणकसे पवित्र बतलाया है। वर्तमानमें गोरखपुर (उप्र)से ३९ मीलपर. एR०० रेल्वे नोनखार स्टेशनसे तीन मील जो खुखुन्दू गांक है उसे पुष्पदन्तका जन्म स्थान माना जाता है। काम्पिक ( पृ० २०५ )- इसे पंचालन में बालाया है। गंगा और यमुनाके बीचके प्रदेशको पंचालदेश कहते। वर्तमान में उतरप्रदेश पसाबाद जिले में काम्पिल्य नामक गाँव है। कालीदासकानन (१० ८४ )- सोमवने अहिच्छत्रमें जलवाहिनी नदोके तटके निकट कालीदास नामक वनका उल्लेख किया है। काशीदेश (१० १९४)-वाराणसी नगरीके आसपासका प्रदेश किसगोतनगर पृ० ५५ कुरुजांमळ ( पृ० ३९,९८,१७७ ) - यह कुरु देशका एक भाग पा। उसोमें हस्तिनापुर नामका नगर था। अशाप्रपुर ( पृ० ४६,५०)- चीनी यात्री युवानच्चांग के अनुसार कुशाग्रपुर मगधका केन्द्र तथा पुरानी । राजधानी थी। वहां एक प्रकारको सुगन्धित. घास होती थी उसीके कारण उसका नाम कुशाग्रपुर पड़ा था। सोमदेखने भी कुशम्पपुरको मगध देशमें बसलाया है। हेमचन्द्राचार्य के त्रिवष्टिशलाका पुरुष पनि सुरक्षित परम्पराके अनुसार प्रसेनजित कुशाग्रपुरका राजा था। कुशाग्रपुरखें, लगातार आग: सप्रनेके कारण प्रसेनजितने यह आज्ञा दी थी कि जिसके घरमें आप पायी जायेगी वह नगरसे निकाल दिया जायेगा। एक दिन राजमहल में आग पायी जानेसे प्रसेनजितने कुशाप्रपुरको त्याग दिया। कैलास (पर्वत ) पृ०. ५२।। बोलल्देश (पृ० ५६ ) इसकी राजधानो अयोध्या थी। कौशाम्बीदेश (पृ९ १५८,१६४ )- अलाहाबाद से लगभग तोस मोल यमुताके तटपर कोसा नायक गांव है उसे ही प्राचीन कोशाम्बी माला जाता है। कौशाम्बी वल्सदेशकी राजधानी थी। QAABAR सूरिने अपनी टीकामें लिखा है कि वत्सदेशमें कौशाम्बी नपरी मोपाचल (ग्वालियर ) से ४४ गव्यूतिपर है। यदि मन्यूति से दो कोस या चार मील लिया जाता है तो कौशाम्बी ग्वालियस्से १७६ मोलके लगभग होती है। दोग्य निकायके महासूचस्सा सुलतमें कौशाम्बीको महानगरों में मिलाया है। मिEि - १८ मौणमण्डल ( १८७२)- पूर्वदेवमें लाया है। यह मालमें का। चम्पापुरी (१०५३)- अंगदेशको प्राचीन राजधानी, विहार प्रदेश में भागलपुर के पास है। जनपद (पृ० ३९) - जनपर देशको राजधानो भूमितिलापुर थी। सम्भवतया जनपद देश कुरवेश - निकट था, कि कमाने का है कि वो शिव भूमितिलापुरुसे हस्तिनापपुर आते हैं। जम्बूद्वीप-१० ३९ ।
SR No.022417
Book TitleUpasakadhyayan
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2013
Total Pages664
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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