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________________ लब्धिसारः । क्रोधोपशामनाद्धा षट्पुरुषस्त्रीणामुपशमानां च । क्षुद्रभवगाहनं च च अधिकक्रमाणि एकविंशपदानि ॥ ३७० ॥ अर्थ — उससे क्रोध के उपशमानेका काल अन्तर्मुहूर्तकर अधिक है २९ । उससे छह नोकषायके उपशमानेका काल विशेष अधिक है ३० । उससे पुरुषवेदके उपशमानेका काल एकसमयकम दो आवलिकर अधिक है । उससे स्त्रीवेदके उपशमानेका काल अन्तमुहूर्तकर अधिक है। उससे नपुंसक वेद उपशमानेका काल अन्तर्मुहूर्तकर अधिक है । उससे क्षुद्रभवका काल विशेष अधिक है वह एक श्वासके अठारवें भागमात्र है ॥ ३७० ॥ इसतरह इक्कीसस्थान अधिक क्रम हैं । वसंतद्धा दुगुणा तत्तो पुरिसस्स कोहपढमठिदी | मोहोवसामणद्धा तिण्णिवि अहियक्कमा होंति ॥ ३७१ ॥ उपशांताद्धा द्विगुणा ततः पुरुषस्य क्रोधप्रथमस्थितिः । मोहोपशमनाद्धा त्रीण्यपि अधिकक्रमाणि भवंति ॥ ३७१ ॥ अर्थ-उस क्षुद्रभवसे उपशांतकषायका काल दूना है । उससे पुरुषवेदकी प्रथमस्थितिका आयाम विशेष अधिक है । उससे संज्वलनकोधकी प्रथम स्थितिका आयाम कुछ कम त्रिभागमात्र अधिक है । उससे सर्व मोहनीयका उपशमनकाल कुछ अधिक है ॥ ३७९॥ पडणस्स असंखाणं समयपबद्धाणुदीरणाकालो । संखगुणो चडणस्स य तक्कालो होदि अहियो य ॥ ३७२ ॥ पतनस्यासंख्यानां समयप्रबद्धानामुदीरणाकालः । संख्यगुणः चटनस्य च तत्कालो भवत्यधिकश्च ॥ ३७२ ॥ अर्थ — उससे पड़नेवालेके असंख्यात समयप्रबद्ध की उदीरणा होनेका काल संख्यातहै । उससे चढनेवालेके असंख्यात समयप्रबद्धकी उदीरणा होनेका काल अन्तर्मुहूर्त - मात्र अधिक है || ३७२ ॥ गुणा पडणाणियट्टियद्धा संखगुणा चडणगा विसेसहिया । पडमाणा पुचद्धा संखगुणा चडणगा अहिया ॥ ३७३ ॥ पतनानिवृत्त्यद्धा संख्यगुणा चटनका विशेषाधिका । पतंत्योपूर्वाद्धाः संख्यगुणाः चटनका अधिकाः ॥ ३७३ ॥ अर्थ —उससे पड़नेवालेके अनिवृत्तिकरणका काल संख्यातगुणा है । उससे चढनेवालेके अनिवृत्तिकरणकाल अन्तर्मुहूर्तमात्रकर अधिक है । उससे पड़नेवाले के अपूर्वकरणका काल संख्यातगुणा है । उससे चढनेवालेके अपूर्वकरणका काल अन्तर्मुहूर्तकर अधिक 2 11 203 11 1
SR No.022409
Book TitleLabdhisara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1916
Total Pages192
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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