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________________ तिलोयपएणत्ती दोभेदं च परोक्खं प्रभुदय सोक्खा मक्खिसोक्खाई। सादादिविविह'सुपसत्थकम्मतिब्वाणुभागउदएहिं ॥३६॥ इंदपडिददिगिंदयतेत्तीससायरपमाणपहुदिसुहं । राजाहिराजमहाराजद्ध मंडलिमंडलयाणं ॥४०॥ महमंडलियाणं अद्धचकिचकहरि तित्थयरसोक्ख । अट्ठारसमेत्ताणं सामोसेणेण भत्तिजुत्ताण ॥४१॥ बररयणमउडधारी सेवयमाणा णवंति दह' अट्ठ। देता हवेदि राजा जितसत्तू समरसंघट्ट ॥४२॥ करितुरयरहाहिवई सेणवद पदंतिसेहिदंडवई। सुद्दक्खत्तियवइसा हवंति तह मइयग पवरा ॥४३॥ गणरायमंतितलवरपुरोडिया मंतया महामंता। बहुविहपइण्णया य अट्ठारसा होति सेणे (णा ?)ो ॥४४॥ पंचसयरायसामो अहिराजो होदि कित्तिभरिददिसो। रायाण जो सहस्सं पालइ सो होदि महराजा ॥४५॥ दुसहस्समउड बद्धभुववसहो तश्चअद्धमंडलियो। चउराजसहस्साणं अहिणाउ10 होइ मंडलियं ॥४६॥ म इमंडलिभो णामो अट्ठ सहस्साण अहिवई ताणं । रायाणं अद्वचक्की सामो सोलससहस्तमेत्ताणं ॥४७॥ छक्खंडभरहणाहो बनोससहस्समउडबद्धपहुदीअो । हादि हु सयलंचकी तित्थयरो सयलभुवणवई ॥४८॥ अन्भुदयसोक्खं गदं सोक्ख तित्थयराणं कप्पातीदाण तह य इंदियादीदं । अतिसयमादसमुत्थं हिस्सेयसमणुवमं पवरं ॥४॥ मोक्खसोक्खं गदं सुदणाणभावणाए णाणं मत्तंडकिरणउज्जोयो। आदं चंदुजलं चरितं चित्तं हवेदि भवाणं ॥५०॥ Is अणुदय ; 2 AS सुपर पत्थ ; 3 S तेत्तीसामरसमाण ; 4 A मंडिलि; 5 ABS तित्थरय; 6 AS भैति; 7 5 श्रद्धं; 8s य मंति, uly n t पत्ति ; 9 s बद्धासेवसहो; 10 अहिग्राम (१); II A णाणमत्तंड ; I 2 As उज्जोउ।
SR No.022405
Book TitleTiloy Pannatti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherJaina Siddhanta Bhavana
Publication Year1941
Total Pages124
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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