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________________ अधिकारः ९] समयसारः। ५०९ चेति ३१ न करिष्यामि मनसा वाचा चेति ३२ न कारयिष्यामि मनसा वाचा चेति ३३ न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा वाचा चेति ३४ न करिष्यामि मनसा च कायेन चेति ३५ न कारयिष्यामि मनसा च कायेन चेति ३६ न कुर्वतयप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च कायेन चेति ३७ न करिष्यामि वाचा च कायेन चेति ३८ न कारयिष्यामि वाचा च कायेन चेति ३९ न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि वाचा च कायेन चेति ४० न करिष्यामि मनसा चेति ४१ न कारयिष्यामि मनसा चेति ४२ न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा चेति ४३ न करिष्यामि वाचा चेति ४४ न वियसय पयडिविणासेण होति ते सिद्धा" ॥१॥ इमां गाथामाश्रित्य अष्टचत्वारिंशदधिकशतप्र अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा मनकर वचनकर कायकर। ऐसा इकतीसवां भंग है। इसमें एक अनुमोदनापर मन वचन काय तीनों लगाये इसलिये तेरहकी समस्या हुई।३१।१३। ऐसे तेरह समस्याके तीन भंग हुए ॥ आगामी कर्मको मैं न करूंगा मनकर वचनकर । ऐसा बत्तीसवां भंग है । इसमें एक कृतपर मन वचन दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३२ । १२ । आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा मनकर वचनकर । ऐसा तेतीसवां भंग है। इसमें एक कारितपर मन वचन दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३३ । १२ । आगामी कर्मको मैं अन्यके करनेको नहीं अनुमोदूंगा मनकर वचनकर । ऐसा चौंतीसवां भंग है। इसमें एक अनुमोदनापर मन वचन दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३४ । १२ । आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा मनकर कायकर । ऐसा पैंतीसवां भंग है । इसमें एक कृतपर मनकाय ये दो लगाये इस लिये बारहकी समस्या हुई । ३५ । १२ । आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा मनकर कायकर । ऐसा छत्तीसवां भंग है । इसमें एक कारितपर मन काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३६ । १२ । आगामी कर्मको मैं अन्यके करनेको भला नहीं जानूंगा मनकर कायकर । ऐसा सैंतीसवां भंग है । इसमें एक अनुमोदना पर मन काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३७ । १२। आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा वचनकर कायकर । ऐसा अडतीसवां भंग है। इसमें एक कृतपर वचन काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३८। १२ । आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा वचनकर कायकर । ऐसा उनतालीसवां भंग है। इसमें एक कारितपर वचन काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ३९ । १२ । आगामी कर्मको मैं अन्यके करनेको भला नहीं जानूंगा वचनकर कायकर । ऐसा चालीसवां भंग है। इसमें एक अनुमोदनापर वचन काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्या हुई । ४० । १२ । ऐसे बारहकी समस्याके नौ भंग हुए ॥ आगामी
SR No.022398
Book Titlesamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddhar Karyalay
Publication Year1919
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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