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________________ ५०८ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । [ सर्वविशुद्धज्ञानमनसा चेति २१ न कारयिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा चेति २२ न करिष्यामि न कारयिष्यामि वाचा चेति २३ न करिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि वाचा चेति २४ न कारयिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि वाचा चेति २५ न करिष्यामि न कारयिष्यामि कायेन चेति २६ न करिप्यामि न कुर्वतमप्यन्य समनुज्ञास्यामि कायेन चेति २७ न कारयिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि कायेन चेति २८ न करिष्यामि मनसा वाचा कायेन चेति २९ न कारयिष्यामि मनसा वाचा कायेन चेति ३० न कुर्वतमप्यन्यं जनं समनुज्ञास्यामि मनसा वाचा कायेन एवं टीकाकथितक्रमेण-"पण णव दु अहवीसा चउ तिय णउदीय दुण्णि पंचेव । वावण्णहीण गामी कमको मैं नहीं कराऊंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा मनकर । ऐसा बाईसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर एक मन लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२२।२१। आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा वचनकर । ऐसा तेईसवां भंग है । इसमें कृतकारित इन दोनोंपर एक वचन लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२३।२१। आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा वचनकर । ऐसा चौवीसवां भंग है। इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर एक वचन लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२४।२१ आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा, अन्य करते हुएको भला भी नहीं जानूंगा वचनकर । ऐसा पच्चीसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर एक वचन लगाया इस लिये इकईसकी समस्या हुई ।२५।२१। आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा कायकर । ऐसा छव्वीसवां भंग है । इसमें कृत कारित इन दोनोंपर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२६।२१। आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा कायकर । ऐसा सत्ताईसवां भंग हुआ। इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२७।२१। आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा कायकर । ऐसा अट्ठाईसवां भंग है। इसमें कारित अनुमोमोदना इन दोनोंपर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२८।२१ ऐसे इकईसकी समस्याके नौ भंग हुए ॥ आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा मनकर वचनकर कायकर । ऐसा उनतीसवां भंग है । इसमें एक कृतपर मन वचन काय तीनों लगाये इसलिये तेरहकी समस्या हुई ।२९।१३। आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा मनकर वचनकर कायकर । ऐसा तीसवां भंग है । इसमें एक कारितपर मन वचन काय तीनों लगाये इसलिये तेरहकी समस्या हुई ।३०।१३। आगामी कर्मको मैं
SR No.022398
Book Titlesamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddhar Karyalay
Publication Year1919
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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