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• 'द्रव्य--५यायनी २' तथा 'द्रव्यानुयो॥५२॥मश' व्यायाम विदा पर्थोनी याही . 107 (II) स्वजातीय-विजातीय
उपाधि
७०६-७०७,१६९२,१६९३, असद्भूत व्यवहार ८७६-८७९ |
१७९३-१७९६,१९२३-१९२४, (३) उपचरित असद्भूत व्यवहार ८८१
२०७०-७१ (1) स्वजातीय उप.अ.व्य. ८८३-८८७/उपालंभ
देखिए वैयावृत्त्य (II) विजातीय उप.अ.व्य. ८८९-८९२ उपासना चिह्न
२४१९ (III) स्वजातीय-विजातीय
| उपास्य-उपासकभाव संबंध देखिए संबंध उप.अ.व्य. ८९३-८९५ / उपेक्षा
देखिए औदासीन्य उपयोग (चैतन्य)
१६३६-१६३८ | उमास्वातिसम्मत परिणाम देखिए परिणाम (१) अन्तर्मुख उपयोग
ऊर्ध्वता सामान्य देखिए सामान्य (२) अशुभ उपयोग
२५७६ | ऊर्ध्वतासामान्य द्रव्य देखिए द्रव्य (सामान्य) (३) आंशिक उपयोग १६५३-१६५४ ऊर्ध्व प्रचय देखिए प्रचय (४) ज्ञान उपयोग (अपाय-धारणा) ९१४, ऊर्ध्वप्रचय-पर्यायवाचीनाम देखिए प्रचय
१६३८,१६५३,१६५४ | ऋजुसूत्रद्रव्यार्थिकवाद देखिए वाद (५) दर्शन उपयोग (अवग्रह-ईहा) १६५३-१६५४ | ऋजुसूत्रनय देखिए नय (आपादन प्रकार) (६) निर्विकल्प उपयोग २४६६, २४६८ ऋजुसूत्रनय (द्विविध) देखिए नय (नवविध) (७) पूर्ण उपयोग
१६५३-१६५४ | ऋजुसूत्रनय लक्षण देखिए लक्षण (८) विशेष उपयोग
१६५३
ऋजुसूत्रपर्यायार्थिकवाद देखिए वाद (९) शुक्लज्ञान उपयोग
ऋजुसूत्रमत देखिए २४६५
नयमत (१०) शुद्ध उपयोग
ऋतंभरा प्रज्ञा देखिए ज्ञान
२५७६ (११) शुभ उपयोग २५७६
(+ उपयोग + बोध) (१२) सामान्य उपयोग
१६५३
| एक-अनेकस्वभाव अनेकांत देखिए अनेकांत उपयोग धारा
| एक-द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (देवचंद्रजीदेखिए धारा उपयोग लक्षण देखिए लक्षण
सम्मत) (१) द्रव्यार्थिकनय
एकत्व उपयोग शुद्धि
२८० देखिए शुद्धि (१) क्रियासापेक्ष एकत्व
२८९ उपयोगशून्यता देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी)
(२) जातिसापेक्ष एकत्व
२८९ उपयोगात्मा देखिए आत्मा
(३) द्रव्यपरिणामकृत एकत्व
२८२ उपवास लक्षण देखिए लक्षण
(४) धर्मिसापेक्ष एकत्व
२८९ उपशमभाव देखिए - भाव
(५) समूहकृत एकत्व उपशम लब्धि देखिए लब्धि
एकत्वआपत्ति देखिए दोष (दूषण) उपशांतकषायादि प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना
| एकत्ववितर्क अविचार शुक्लध्यान देखिए ध्यान उपशांतदशा देखिए दशा
(चतुर्विध) (४) शुक्लध्यान उपादान कारण देखिए कारण
| एकत्वशक्ति देखिए शक्ति (अर्थगत)
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