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• 'द्रव्य-गु-पयायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२रामश' व्यायाम विदा पार्थोनी याही . 105 आर्थ बोध देखिए बोध (+ ज्ञान) | उत्कृष्ट गीतार्थ देखिए गीतार्थ आर्थी व्यंजना देखिए वृत्ति
उत्कृष्टयोग लब्धि देखिए लब्धि __ (आलंकारिकसम्मत) (३) व्यंजनाशक्ति | उत्तम मौन (तात्त्विक) देखिए मौन आलम्बनशुद्धि देखिए शुद्धि उत्तरनय सप्तभङ्गी देखिए सप्तभङ्गी आलस्य
देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) उत्तरसामान्य प्रकार देखिए प्रकार आवरण शक्ति देखिए शक्ति (अर्थगत) | उत्तर सामान्य संग्रहनय देखिए नय (नवविध) आविर्भाव देखिए व्यक्ति
संग्रहनय (देवचन्द्रजी) (A) सामान्यसंग्रहनय आविर्भाव शक्ति देखिए शक्ति (अर्थगत) | उत्थान
देखिए दोष (आध्यात्मिक) आशय
उत्पत्ति (आगमिक मत) (१) प्रणिधान
२४४०,२५२८ (१) प्रायोगिक उत्पत्ति १३११-१३१२ (२) प्रवृत्ति २४४० । (२) मिश्र उत्पत्ति
१३११-१३१२ (३) विघ्नजय
२५०८-०९ (३) वैस्रसिक उत्पत्ति १३११-१३१२ (४) विनियोग २४६८ | उत्पत्ति (प्रकीर्णक)
३१३,७४७ (५) सिद्धि
२४६० (१) प्रतीत्य पर्याय समुत्पाद ११४८ आशातना
९३३ | उत्पत्ति संबंध देखिए संबंध आश्रयता संबंध देखिए संबंध उत्+पद्धात्वर्थ देखिए धात्वर्थ
| उत्पाद (उत्पत्ति-समुत्पत्ति-तार्किकमत) (१) अविद्याआश्रव
२४३३-३४ (१) प्रायोगिक उत्पाद १३०८-१३१० (२) कामाश्रव
२४५५ () समुदयकृत प्रायोगिक उत्पाद १३०९ (३) कर्माश्रव
२४३७ (२) वैनसिक उत्पाद
१३१४ आश्रव दशा देखिए दशा
(1) ऐकत्विक वैनसिक उत्पाद १३१६-१३१८, आसंग देखिए दोष (आध्यात्मिक)
१३२२-१३२६,१३३२-१३३५,१३३७-१३४१ आसन
देखिए योग (अष्टांग) (II) समुदयकृत वैससिक उत्पाद १३१५-१३१७ आहारादिसंज्ञा देखिए संज्ञा
उत्पादन देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) इच्छायम देखिए यम
उत्पाद-व्ययसापेक्षसत्ताग्राहकाऽशुद्ध द्रव्यार्थिकनय इच्छायोग देखिए योग (त्रिविध)
देखिए नय (नवविध) इतिशब्दार्थ ११५६-११५७
(१) द्रव्यार्थिकनय इन्द्रिय वंचन
उत्सर्ग नय २४४४-४६
देखिए नय (आपादन प्रकार) इन्द्रिय विजय देखिए विजय
उत्सूत्रभाषण देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) इन्द्रिय संलीनता देखिए संलीनता
उदात्तत्व
२४२२ ईहा
देखिए उपयोग (चैतन्य) | उद्गम देखिए दोष (रत्नत्रयसबंधी) उचित अनुष्ठान देखिए अनुष्ठान
| उद्देश्यताअवच्छेदकभेद
६८३
आश्रव