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________________ | अकेन्द्रिय जीवोके हुंडक संस्थान प्रत्येक वनस्पतिकायका - तरह तरह के अनेक आकार . वायुकाय का · ध्वज के आकार का तेउकाय का - सुई के आकार का अप्काय का - परपोटा के आकार का पृथ्वीकाय का - मसुरकी दाल अथवा अर्धचंद्र आकार का ० प्रत्येक वनस्पतिकायको छोडके दूसरे किसीका अक शरीर देखा नहि जा शकता, इसलिए उसके संस्थान भी देखे नहि जाते है। चोवीश दडकमेंछ लेश्या 1 ग. तिर्यन्च को - छ लेश्या 3 विकलेन्द्रिय को - 3 अशुभ 1 ग. मनुष्य को - छ लेश्या 1 वैमानिक को - 3 शुभलेश्या 1 नारक को - तीन अशुभ 1 ज्योतिष को - 1 तेजोलेश्या 1 अग्निकाय को " 14 शेष दंडक को - प्रथम की चार 1 वायुकाय को " 1 वायुकाय को - तीन अशुभ चोवीश दंडक में सात समुद्घात 1 गभर्ज मनुष्. को · सात समद्घात 1 ग. तिर्यन्च को - वे. क. म. वैकि. तै. 13 देव दंडक में - वे. क. म. वैकि. तै. 1 नारक को - वे. क. म. वैक्रि. 1 वायु काय को - वे. क. म. वैक्रि. 7 शेष दंडक में - वे क. म. ० त्रसनाडीके बहार निराबाध स्थानमें रहे हुए सूक्ष्मादि ओकेन्द्रियको (43 पदार्थ प्रदीप
SR No.022363
Book TitlePadarth Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnajyotvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year132
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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