SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन रचनाएँ: __ आचार्य हरिभद्र को 1444 प्रकरणों का रचयिता माना गया है। राजेश्वर सूरि ने अपने प्रबन्धकोश में इनका 1440 प्रकरणों का रचयिता लिखा है। इनकी उपलब्ध महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित है 56 अनुयोग द्वार विवृत्ति, आवश्यक सूत्र विवृत्ति, ललित विस्तार, जीवाजीवाभिगम सूत्र लघु वृत्ति, दशवैकालिक वृहद् वृत्ति, श्रावक प्रज्ञप्ति टीका, न्याय प्रवेश टीका, अनेकान्त जयपताका, योग दृष्टि समुच्चय, शास्त्र वार्ता समुच्चय, सर्वज्ञ, सिद्धिअनेकांतवाद प्रवेश, उपदेश पद, थम्म संगहणो, योग बिन्दु, योग शतक, षड्दर्शन समुच्चय, समराईच्चकहा, ८ पूर्ताख्यान, संवाहण पगरण, प्रशमरति प्रकरण टीका। हरिभद्रीय टीका की विशेषता : आचार्य हरिभद्र की टीका संस्कृत भाषा में लिखी गई है। इस टीका की महत्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं : (क) इसकी मुख्य विशेषता यह है कि कारिका में आये हुए पदों की विस्तृत व्याख्या की गयी (ख) दूसरी विशेषता यह है कि संबंधित कथन की पुष्टि के लिए इन्होंने अपने पूर्ववर्ती ___ आचार्यों के ग्रन्थों का उद्धरण दिये हैं। (ग) तीसरी विशेषता यह है कि अगली कारिका के विषय की सूचना भी टीका द्वारा दी गयी (घ) इसकी भाषा सरल और बोधगम्य है। (ङ) पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या भी सरल ढंग से इस टीका में की गई है। इसके कारण ग्रन्थ को समझने में अध्येताओं को कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता है। भाषा में प्रवाह आकर्षक है। अवचूरि : - जैन परम्परा में आगम एवं आगमेतर साहित्य तथा अवचूरि लिखने की परम्परा है। ऐसी ही एक अवचूरि प्रशमरति प्रकरण पर भी लिखी गई है। लेकिन ये अवचूरिकार की महानता है कि इन्होंने ग्रन्थ में अपने नाम का उल्लेख भी नहीं किया है। उक्त अवचूरि के प्रत्येक कारिका में कठिन शब्दों की व्याख्या की गई है। अभी तक इस अवचूरि का हिन्दी अनुवाद नहीं हुआ है जो अपेक्षित है। अन्य टीकाएँ : इसके अलावे प्रो० राजकुमार शास्त्री की हिन्दी टीका, भोगी लाल की अंग्रेजी टीका एवं कन्नड़ आदि भाषा में अन्य टीकाएँ उपलब्ध हैं।
SR No.022360
Book TitlePrashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManjubala
PublisherPrakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan
Publication Year1997
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy