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________________ जन्न्न्कन्कन्सन्क ओं ही विद्युत्कुमारेंद्राय इवं............... दिक्कुंजरस्थं परिघच्छतारिं सिंहाधनेंद्रीचरसप्रचक्रम् । नतिक्षणाईच्चरणांकशंकाकरांकासहं प्रयजे दिगेंद्रम् ॥१३॥ ओं ह्रीं दिक्कमारेंद्राय इदं.............................................. स्तंभाधिरोहं शिविकादिसैन्यव्याप्ताशमुल्कायुधमनिमौलि । अग्नींद्रमर्चामि जिनक्रमाग्रश्रीकुंभलालायितमौलिकुंभम् ।। ९४ ॥ ओं ह्रीं अग्निकुमारेंद्राय इदं........................ कुरंगयुग्यं नगहतिमश्व प्रष्टामरानीकपरीतमूर्तिम् । चायेनिलेंद्रं नतमस्तकाश्वछायैर्जिनांनिस्थलमंकयंतम् ॥ ९५ ॥ ओं ह्रीं वातकुमारेद्राय इदं................................... सैन्यैरश्वरथेभपत्तिकलवाग्नद्यादिमै कौणनौ ताक्ष्ये भास्वरंगंडकोष्टकरटिद्विक्याप्ययानार्वगैः । जरस्थं" इत्यादि तथा ओं ह्रीं बोलकर दिक्कुमारेंद्रको अर्घ चढावे ॥९३ ॥“ स्तंभादिरोह || इत्यादि तथा ओं ह्रीं बोलकर अग्निकुमारेंद्रको अर्घ चढावे ॥ ९४ ॥ “ कुरंगयुग्यं " इत्यादि तथा ओं ह्रीं बोलकर वातकुमारेंद्रको अर्घ चढावे ॥९५॥ सैन्यै” इत्यादि दो श्लाक बोल-15 MORPOO. . . ल
SR No.022357
Book TitlePratishtha Saroddhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pandit, Manharlal Pandit
PublisherJain Granth Uddharak Karyalay
Publication Year1918
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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