SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हेला जलचर, चोपगा, जुजपरि सर्प, उरपरिसर्प अने खेचर ए पांचे जातना तियेच पप्रिय वळीसमुर्गम अने गर्नज एम बे प्रकारना छे. तेथी पांच ने पांच दश नेद तियेच पचेंडियना थया तेनो एक दंगक ॥ एवं वीस ॥ ____ मनुष्य-मनुथकी उत्पन्न थयेला ते मनुष्य कहीए था मनुष्य शब्द राज्यादिशब्दनी पेठे जाणवो तेना मुख्य चार नेद ने कर्म नूमिज अकर्म नूमिज अंतरछीपना अने समुमम. . कर्मचूमि-असि (शस्त्र) मसि (मेस) कृषि(खेती) नो व्यवहार जेमां बे एवा क्षेत्रो, ते ५ जरत, ५औरवृत्त ५ महाविदेह ए पन्नर कर्म भूमि डे. अकर्मचूमि-असि मसि अने कृषिनो व्यवहार जेमा नथी एवा क्षेत्रो ते ५ हैमवंत ५ औरण्यवृत्त ५ हरिवर्ष ५ रम्यक ५ देवकुरु ५ उत्तरकुरु एम अकर्म नूमि त्रीस . अंतरहीप-या जंबुद्धीपमा मेरुथी दक्षिण दिशाए नरत क्षेत्रना बेमे १०० जोजन ऊंचो १०५५ जो.
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy