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________________ (१५३) म्वीकाय, पाणीना जीवोनी जातीरुप समुह तेने विधे फरीफरी मरणपामीने तेनी तेजकायमा उत्पन्न थाय, तो तेनीअपेदाए जे स्थिति काळमानं तेनुं नाम स्वकाय स्थिति जाणवी... - पृथ्वी काय, अपकाय, तेनकाय अने वानकाय ए चार एकेजियना दमके उत्कृष्टी स्वकाय स्थिति असंख्याती उत्सर्पिणी अवसर्पिणी काळनी अर्थात् पृथ्वीकायनो जीव मरणपामीने फरी तेजकायमा उपजे, पण पोतानी कायने मुके नहि तो असंख्यात उत्सर्पिणी अवपिणी काळ सुधी रहे. एमज अपकाय तेउकाय अने वानकायने विषेपणजाणी लेवु. वनस्पात कायन स्वकाय स्थिति उत्कृष्ट। अनेता काळ प्रमाण जाणवी. आजे वनस्पति कोयनी स्थिति कहीते व्यवहारराशी जीवनी अपेदाए जाणवी केमके व्यवहारराशीजीव मरणपामी नीगोदमां जायतो अनंती उत्सर्पिणी अवसर्पिणी काळ सुधी रहेने पडी पागे व्यवहार राशीमां आवे एम जाणवु: बेइंजिय, तेइंड्रिय अने चौरिंजिय एम विकधि
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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