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________________ 64 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन प्रज्ञापना सूत्र में त्रीन्द्रिय संसारसमापन्नक जीवों की प्रज्ञापना इस प्रकार की है- १. औपयिक २. उत्कलिक ३. उत्पाद ४. उत्कट ५. उत्पट ६. मालुक ७. वपुषमिजिक ८. कार्पासास्थिमिंजिक ६. हिल्लिक १०. झिल्लिक ११. झींगूरा १२. किंगरिट १३. बाहुक १४. लघुक १५. सुभग १६. सौवस्तिक १७. शुकवृन्त १८. इन्द्रिकायिक १६. इन्द्रगोपक २०. कुस्थलवाहक २१. हालाहक २२. पिंशुक २३. शतपादिका २४. गोम्ही (कनखजूरा) २५. हस्तिशौण्डा सभी त्रीन्द्रिय जीव सम्मूर्छिम और नपुंसक होते हैं। चतुरिन्द्रिय के भेद स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु इन चार इन्द्रियों से युक्त जीव चतुरिन्द्रिय कहलाते हैं। इनके पर्याप्त-अपर्याप्त दो भेद हैं। चतुरिन्द्रिय जीवों के भेदों का वर्णन लोकप्रकाश में इस तरह किया गया है- १. बिच्छु २. मकड़ा ३. भौरे ४. भ्रमर ५. कंसारी ६. मच्छर ७. टिड्डी ८. मक्खी ६. मधुमक्खी १०. पतंगा ११. जील्लका १२. डांस १३. जुगनू १४. ढीकणा १५. लाल-पीले-हरे-काले तथा चितकबरे चित्र वाले कीड़े १६. नन्द्यावर्त १७. खड १८. भाकड़ी।" प्रज्ञापना में चतुरिन्द्रिय के अन्य भेद इस प्रकार हैं- १. अंधिक २. नेत्रिक ३. कुक्कुट ४. ओहांजलिक ५. जलचारिक ६. गम्भीर ७. नीनिक ८. तन्तव ६. अक्षिरोट १०. अक्षिवेध ११. सारंग १२. नेवल १३. दोला १४. भरिली १५. जरूला १६. तोट्ट १७. पत्रवृश्चिक १८. छाणवृश्चिक १६. जलवृश्चिक २०. प्रियंगाल २१. कनक और २२. गोमयकीट (गोबर का कीड़ा) इसी प्रकार के अन्य प्राणी आदि। सभी चतुरिन्द्रिय जीव सम्मूर्छिम और नपुंसक होते हैं। पंचेन्द्रिय के भेद स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र इन पाँच इन्द्रियों से युक्त जीव पंचेन्द्रिय जीव कहलाते हैं। पंचेन्द्रिय जीव चार प्रकार के हैं - तियेच, मनुष्य, देव और नारकी। 1. पंचेन्द्रिय तिर्यच- तिर्यंच पंचेन्द्रिय तीन प्रकार के होते हैं, यथा- जलचर, स्थलचर और खेचर। जलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय- जल में रहने वाले तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीव जलचरतियंचपंचेन्द्रिय कहलाते हैं। दृष्टा जलचरास्तत्र पंचधा तीर्थपार्थिवैः। मत्स्याश्च कच्छपा ग्राहा मकरा शिशुमारकाः ।। मत्स्य, कछुआ, ग्राह, मकर और शिशुमार पाँच प्रकार के जलचर होते हैं। अब प्रस्तुत हैं
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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