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________________ २७२ २७२ २८८ २६२ २६५ लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन २८. वैक्रिय शरीरी जीवों से औदारिक शरीर प्राप्त जीवों का भवसंवेध २६२ २६. औदारिक से औदारिक शरीर प्राप्त जीवों का भवसंवेध २६३ ३०. नारकी जीवों की स्थिति २७० ३१. देवगति के जीवों की स्थिति २७१ ३२. पांच स्थावर जीवों की स्थिति ३३. विकलेन्द्रिय, असन्नी एवं सन्नी तिथंच पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति ३४. मनुष्य गति के जीव की स्थिति २७३ ३५. जैन दर्शन के अनुसार लोक के स्वरूप का चित्र २८४ ३६. लोक के आयाम का चित्र २८५ ३७. १४ रज्जु लोक प्रमाण में खंडुक का चार्ट २८७ ३८. १४ रज्जु लोक प्रमाण में खंडुक का चित्र ३६. वातवलय में परिवेष्टित लोक का चित्र २६० ४०. तेरह परमाणु वाला आकाश प्रदेश का चित्र ४१. अधोलोक के स्वरूप का चित्र ४२. रामायण के अनुसार लोक का चित्र ४३. पुराणों में जम्बूद्वीप का चित्र २६७ ४४. महाभारत में लोक के स्वरूप का चित्र २६७ ४५. श्रीमद् भागवत में सप्तद्वीप का चित्र २६७ ४६. जैन दर्शन में सप्तद्वीप का चित्र ४७. सात महाक्षेत्र ३०५ ४८. काल के मापक शब्द ४६. अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी कालचक्र का चित्र ३४२ ५०. क्षायोपशमिक भाव के अठारह भेद ५१. औदयिक भाव के २१ प्रकार ५२. सान्निपातिक भाव के २६ प्रकार ३६७ ५३. कर्मों से सम्बद्ध भाव ३६६ • ५४. भावों में कर्म निरूपण ३७१ ५५. गुणस्थानों में भाव t.c गणान न भात के उत्तर भेटों की सारणी २६६ २९६ ३३८ ३६२ ३६४ ३७२ ३७६
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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