SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तो ते मरण नहि पण अजरामरपणुंज कहेवाय. आ प्रमाणे शेठ चुनीलाल सं. १९६३ ना श्रावण वद १ नी प्रभाते मुंबाईमां काळने शरण थया हता जेमनी पाछळ रु. ५००० ) धर्मादा काढवामां आव्या हता. शेठ चुनीलालना स्वर्गवासथी आखी दिगंबर जैन कोमने तेमज खास एमना मामाने भारे खोट गइ छे केमके शेठ चुनीलाल एमना मामा शेठ माणेकचंदजीने दरेक कार्यमां एक जमणा हाथ जेवा थई पडया हता. . शेठ चुनीलालजीए जो के झाझी केळवणी संपादन करी नहोती पण एमनी पाछली जींदगीमां एमनी वृत्ति धर्मकार्य तरफ घणीज वळी हती अने मात्र टुंक वखतमां एवां कार्यो करी गया छे के, जेनो आभार आखी दिगंबर जैन कोमे भुलाय तेम नथी. शेठ चुनीलालनां विधवा बाइ जडावबाई हाल हयाल छे, जेमने बे पुत्रीओ थइ हती, जेमांना एक पुत्री नामे कीकी ( परसन ) २६ वर्षनी उमरना हाल हयात छे. जडावबाई सरळ स्वभावी अने धर्म उपर सारी आस्थावाळां छे. एओ वखतोवखत अनेक यात्राओ करे छे तथा धर्मकार्यमां नाणांनो सारो उपयोग करे छे. हालमांज एमणे रु. २५०० ) खरची सुरतना श्री शांतिनाथजीना दहेरासरमां चांदीनी वेदी करावी छे अने मांगी मुंगी, पावागढ वगेरे तीर्थोमां आरसनी लादी जडाववाने सारी रकम आपी छे. एमनु धर्मकार्य तरफ विशेष लक्ष छे. छेवटमां आ टुंक जीवनचरित्र पूर्ण करतां नणावीशु के, ते परम
SR No.022328
Book TitleDharmpariksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarlal Karsandas Kapadia
PublisherMulchand Karsandas Kapadia
Publication Year1910
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy