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________________ (१) जीव आरंभिकी क्रिया - जीवित जीव के अतिपात की हनन की प्रवृत्ति करना। (२) अजीव आरंभकी क्रिया - स्थापना जीव को हनन करने की प्रवृत्ति करना । जैसे - पत्थर की मूर्ति, चित्रित चित्र आदि । ६९६) पारिग्रहिकी क्रिया किसे कहते है ? इसके कितने भेद हैं ? । उत्तर : परिग्रह से लगने वाली क्रिया पारिग्राहिकी हैं । इसके दो भेद हैं - (१) जीव पारिग्रहिकी क्रिया - पति-पत्नी, दास-दासी, पशु आदि जीवों पर ममत्व रखना। (२) अजीव पारिग्रहिकी क्रिया - धन-धान्य, आभूषण, घर आदि अजीव पदार्थों का संग्रह करना तथा उस पर ममत्व बुद्धि रखना अजीव पारिग्रहिकी क्रिया है। ६९७) माया प्रत्ययिकी क्रिया किसे कहते है ? इसके भेद लिखो । उत्तर : छल-प्रपंच करके दूसरों को ठगना माया प्रत्ययिकी क्रिया है। स्वयं में कपट होते हुए भी शुद्ध भाव दिखाना स्वभाव वंचन तथा झूठी साक्षी, झूठा लेख लिखना परभाव वंचन माया प्रत्ययिकी क्रिया है । ६९८) मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : जिनेश्वर प्ररूपित तत्त्व के प्रति अश्रद्धान तथा विपरीत मार्ग के प्रति श्रद्धान करने से लगने वाली मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया है । ६९९) मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया के भेद लिखो । उत्तर : मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया के दो भेद हैं - (१) न्यूनातिरिक्त मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी – सर्वज्ञकथित तत्त्व के स्वरूप को न्यूनाधिक मानना । (२) तद्वयतिरिक्त मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी - सर्वज्ञकथित तत्त्व के स्वरूप को सर्वथा न मानना । ७००) अप्रत्याख्यानिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : हेय वस्तु का त्याग प्रत्याख्यान नहीं करने से लगने वाली क्रिया अप्रत्याख्यानिकी है । यह दो प्रकार की है - अजीव तथा सजीव २७८ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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