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________________ उत्तर : दस कोडाकोडी बादर उद्धार पल्योपम का एक बादर उद्धार सागरोपम होता है। ४२८ ) सूक्ष्म उद्धार सागरोपम किसे कहते है ? उत्तर : दस कोडाकोडी सूक्ष्म उद्धार पल्योपम एक सूक्ष्म उद्धार सागरोपम होता है । ४२९ ) अद्धा सागरोपम के दोनों भेद स्पष्ट कीजिए । उत्तर : १. दस कोडाकोडी बादर अद्धा पल्योपम का एक बादर अद्धा सागरोपम होता है । २. दस कोडाकोडी सूक्ष्म अद्धा पल्योपम का एक सूक्ष्म अद्धा सागरोपम होता है । ४३०) क्षेत्र सागरोपम के दोनों भेद स्पष्ट करो । उत्तर : १. दस कोडाकोडी बादर क्षेत्र पल्योपम का एक बादर क्षेत्र सागरोपम है। २. दस कोडाकोडी सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम का एक सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम होता है। ४३१ ) एक कालचक्र में कितने आरे होते हैं ? उत्तर : एक कालचक्र में छह अवसर्पिणी काल के तथा छह उत्सर्पिणी काल के, कुल १२ आरे होते हैं । ४३२) अवसर्पिणी काल किसे कहते है ? उत्तर : जिस काल में जीवों के संघयण, संस्थान अवगाहना, आयुष्य, बल, वीर्य, पराक्रम, वर्ण, गंध, रस, स्पर्श उत्तरोत्तर हीन होते जाते हैं, उसे अवसर्पिणी काल कहते है । ४३३ ) उत्सर्पिणी काल किसे कहते है ? उत्तर : जिस काल में जीवों के संहनन, संस्थान उत्तरोत्तर शुभ होते जाय, आयुष्य, अवगाहना, बल, पराक्रम, वीर्य आदि वृद्धि को प्राप्त होते जाय, वर्ण, गंध, रस, स्पर्श भी शुभ होते जाय, उसे उत्सर्पिणी काल कहते है । श्री नवतत्त्व प्रकरण २२९
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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