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________________ २०४) साकारोपयोग किसे कहते है ? उत्तर : जिसके द्वारा विशेष धर्म का बोध हो, वह ज्ञान साकारोपयोग है। २०५ ) साकारोपयोग के कितने भेद होते हैं ? कौन-कौन से हैं ? उत्तर : साकारोपयोग के निम्न आठ भेद होते हैं - (१) मतिज्ञान (२) श्रुतज्ञान (३) अवधिज्ञान (४) मनःपर्यवज्ञान (५) केवलज्ञान (६) मतिअज्ञान (७) श्रुतअज्ञान (८) विभंगज्ञान । २०६) निराकारोपयोग किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके द्वारा वस्तु के सामान्य धर्म को जाना जाय, वह निराकारोपयोग २०७) निराकारोपयोग के कितने भेद होते हैं ? नाम लिखो । उत्तर : निराकारोपयोग के ४ भेद निम्नोक्त हैं - (१) चक्षुदर्शन (२) ____ अचक्षुदर्शन (३) अवधिदर्शन (४) केवलदर्शन । २०८) चारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर : ज्ञानादि गुणों में रमणता प्राप्त करना अथवा आठ कर्मों को नष्ट करने के लिये यम-नियमादि शुभ आचरण का पालन करना चारित्र हैं । २०९) चारित्र के कितने भेद हैं ? उत्तर : चारित्र के दो भेद हैं - १. द्रव्य चारित्र, २. भाव चारित्र । २१०) द्रव्य चारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर : व्यवहार में समस्त अशुभ तथा हिंसाजनक क्रियाओं का त्याग द्रव्य चारित्र हैं। २११) भावचारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर : हिंसादिक अशुभ तथा रौद्र परिणामों से अपने मन को पीछे हटना या संयत करना भाव चारित्र हैं । २१२) तप किसे कहते हैं ? उत्तर : इच्छाओं का अभाव होना अथवा अनशनादि शुभानुष्ठान के द्वारा आठ कर्मों का क्षय करना तप हैं । २१३) वीर्य किसे कहते हैं ? ----- श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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