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________________ १३७) पर्याप्ता किसे कहते है ? उत्तर : जिन जीवों के जितनी पर्याप्तियाँ होती है, उन स्वयोग्य पर्याप्तियाँ को पूर्ण कर मरने वाले जीव पर्याप्ता कहलाते हैं। १३८) अपर्याप्ता जीवों के कितने भेद हैं ? उत्तर : अपर्याप्ता जीवों के २ भेद हैं - १. लब्धि अपर्याप्ता, २. करण . अपर्याप्ता। १३९) पर्याप्ता जीवों के कितने भेद हैं ? । उत्तर : पर्याप्ता जीवों के २ भेद हैं - १. लब्धि पर्याप्ता, २. करण पर्याप्ता । १४०) लब्धि अपर्याप्ता किसे कहते है ? उत्तर : जो जीव स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण किये बिना ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं, वे जीव लब्धि अपर्याप्ता कहलाते हैं। १४१) करण अपर्याप्ता किसे कहते है ? उत्तर : जिस जीव ने स्वयोग्य पर्याप्तियाँ वर्तमान में पूर्ण नहीं की है, वह जीव करण अपर्याप्ता कहलाता है। १४२) लब्धि पर्याप्ता किसे कहते है ? उत्तर : स्वयोग्य पर्याप्तियों को पूर्ण करके मरने वाला जीव लब्धि पर्याप्ता कहलाता है। १४३) करण पर्याप्ता किसे कहते हैं ? उत्तर : जिन जीवों ने स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण कर ली है, वे जीव करण पर्याप्ता कहलाते हैं। १४४) लब्धि अपर्याप्ता जीव का काल कितना होता है ? उत्तर : लब्धि अपर्याप्ता का काल जघन्य तथा उत्कृष्ट से एक अंतर्मुहूर्त का होता है। १४५) लब्धि पर्याप्ता जीव का काल कितना होता है ? उत्तर : जीव के पूर्वभव का आयुष्य पूर्ण करने के पश्चात् प्रथम समय से स्वयं के उस भव तक जितना आयुष्य है, उतना काल लब्धि पर्याप्ता का कहलाता है। - - १८४ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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