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________________ उत्तर : स्थावर नाम कर्म के उदय से जो जीव दु:ख अथवा कष्ट से बचने के लिये गमनागमन न कर सके, उन्हें स्थावर कहते है । ८०) स्थावरकायिक जीवों के कितने भेद है ? उत्तर : स्थावरकायिक जीवों के ५ भेद है – १. पृथ्वीकाय, २. अप्काय, ३. तेउकाय, ४. वायुकाय, ५. वनस्पतिकाय । ८१) पृथ्वीकाय किसे कहते है ? उत्तर : जिस जीव की काया (शरीर) पृथ्वी रूप हो, उसे पृथ्वीकाय कहते है। जैसे पाषाण, धातुएँ इत्यादि । ८२) अप्काय किसे कहते है ? उत्तर : जिस जीव का शरीर जल रूप हो, उसे अप्काय कहते है। जैसे पानी, ओला, बर्फ आदि। ८३) तेउकाय किसे कहते है ? उत्तर : जिस जीव की काया अग्नि रूप हो, उसे तेउकाय कहते है । जैसे अंगारा, ज्वाला, बिजली आदि । ८४) वायुकाय किसे कहते है ? उत्तर : जिस जीव का शरीर वायु रूप हो, उसे वायुकाय कहते है। ८५) वनस्पतिकाय किसे कहते है ? उत्तर : जिस जीव का शरीर वनस्पति रूप हो, उसे वनस्पतिकाय कहते है। जैसे फल, फूल, लकडी, पत्रादि । ८६) त्रस जीवों के कितने भेद हैं ? उत्तर : त्रस जवों के ४ भेद हैं - १. द्वीन्द्रिय, २. त्रीन्द्रिय, ३. चतुरिन्द्रिय, ४. पंचेन्द्रिय । ८७) इन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जीव के चिन्ह को अथवा जिनकी उपस्थिति से आत्मा की पहचान ___ व अभिव्यक्ति हो, उसे इन्द्रिय कहते हैं । ८८) एकेन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जिन जीवों के केवल त्वचा रूप स्पर्शनेन्द्रिय ही होती है, वे जीव ----------------- १७६ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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