SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अधिक हो तो द्रव्य चारित्र (वेष) ग्रहण कर लेते हैं । यदि वे अंतगड केवली अर्थात् अन्तर्मुहूर्त में ही मोक्ष पाने वाले हो तो उसी वेष में मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं । अन्यलिंग सिद्ध का भी यही तात्पर्य है कि अन्य दर्शनियों के साधुवेष या तापस, परिव्राजक आदि के वेष में रहा हुआ जीव मोक्ष में जा सकता हैं । १५ सिद्ध के भेदों का विवरण निम्न प्रकार से है - १. जिनसिद्ध : तीर्थंकर पद पाकर जो मोक्ष में जाये अर्थात् तीर्थंकर भगवान जिन सिद्ध है। - २. अजिन सिद्ध : तीर्थंकर पद पाये बिना सामान्य केवली होकर मोक्ष में जाये, वह अजिन सिद्ध है। ३. तीर्थ सिद्ध : तीर्थंकर परमात्मा केवल्य प्राप्ति के पश्चात् साधु-साध्वीश्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध धर्मसंघ या धर्म तीर्थ की स्थापना करते हैं । इसे ही तीर्थ कहते है। इस तीर्थ की स्थापना के पश्चात् जो मोक्ष में जाते है, वे तीर्थ सिद्ध कहलाते हैं। .. ४. अतीर्थ सिद्ध : उपर्युक्त प्रकार की तीर्थस्थापना से पूर्व ही जो मोक्ष में जाते हैं, वे अतीर्थ सिद्ध कहलाते हैं। ५. गृहस्थलिंग सिद्ध : जो गृहस्थ के वेष से ही मोक्ष में चला जाय, वह गृहस्थ लिंग सिद्ध है। इस भेद की अपेक्षा से कोई ऐसा न समझे कि घर में रहते हुए ही मोक्ष मिल जाता है फिर चारित्र या साधु वेश लेने की क्या आवश्यकता? ये विचार अज्ञानमूलक है। गृहस्थ या संसार भावों से युक्त कोई भी मुक्त नहीं हो सकता। परन्तु कोई भव्य आत्मा तीव्र वैराग्य उत्पन्न होने पर शुक्लध्यानारूढ होकर कदाचित् केवलज्ञान को प्राप्त करने के बाद यदि मोक्ष जाने का काल अल्प ही रहा हो तो मुनिवेश धारण किये बिना ही सिद्ध हो जाये, उन्हें गृहस्थलिंग सिद्ध कहते है। अगर दीर्घकाल बाकी हो तो वे अवश्य साधुवेश धारण करते हैं। . ६. अन्यलिंग सिद्ध : अन्य दर्शनी के वेश में रहा हुआ तापस आदि मोक्ष में जाय, वह अन्यलिंग सिद्ध है। . ७. स्वलिंग सिद्ध : श्री जिनेश्वर देव ने जो वेश कहा है, उसे धारण श्री नवतत्त्व प्रकरण १५७ - -
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy