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________________ PHI १७ पञ्चका प्राव्य अर्थसहित. नसमान पाय ते खादिम वस्तु कहीये. ते (खा श्मे के ) खादिमने विषे तिहां प्रथम (नतो स के)अक्तोष एटले शेकेलां धान्य चणा प्र मुख तथा अखोग सुखाशिका सर्व जाणवा, तथा प्रांबा केलां प्रमुख सर्व (फलाइ के) फ सादिक जाणवां, तथा फलजातिनी सुखमी मेवा सर्व कयरी पाकादिकनी जातियो, गंदपाकादि क, शक्ष, चारोली प्रमुख मेवा जातिनुं सर्व प कान खांक शाकरादि तेना विकार जे खां का तली प्रमुख ते. सर्व खादिमने विषे लीधा कप्पे. परंतु जीतव्यवहारे प्रसिह पणे अशन मध्ये वे पकृत्य उत्तम झयमां गण्या . परंपरायें इत्या दिक सर्व खादिम " जत्तासं दंताई, खजुर ना लिकेर आई दरकाई ॥ कक्कम अंबग फणसाइ, बहुविहं खाश्मेनेयं ॥१॥ इत्यादिक विचार सर्व प्रवचनसारोझार ग्रंथथी जाणवो ॥ए त्रीजो खादिम आहार कह्यो॥ हवे चोथो (साश्मे के ) स्वादिमने विषे शुं करपे ? ते कहे . तिहां प्रथम ते जे प्रास्ता
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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