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________________ . . . . ... पृष्ठ. पंक्ति. ... १०६-१ १०८-८ ११३-१ ११६-५ ११७-८ ११९-१ १२०-१ १२१-१ १२२-१८ १२४-५ १२५-२३ .... विषयनाम विषय व तपके सुखोंकी तुलना .... तपके फल तपस्वीको भी शरीर संभालना चाहिये आदि तीर्थकरके उदाहरणसे तपकी श्रेष्ठता दैवकी दुरिताका उदाहरण तपका समर्थन ___ चौथी ज्ञान आराधना ज्ञानवृद्धिका क्रम ज्ञान शुद्ध प्राप्त करनेका क्रम शुभाशुभ रागके फल मोक्षसामग्रीकी गिनती मोक्षप्राप्तिमें स्त्रीकी बाधकता मुक्ति-स्त्रीकी प्रशंसा स्त्रीकी सरोवरके तुल्य भीषणता इंद्रियोंसे व्यापकी तुलना तपस्वीकी स्त्रीआसक्तिपर खेद स्त्रीशरीरनिंदा स्त्रीकी दुर्जेयता मनोविजयकी सुगमता तपकी राज्यसे अधिक श्रेष्ठता ... तप बिगाडनेवालेकेलिये अन्योक्ति गुरुकी आवश्यकता व परीक्षा .... विवेकका उपदेश कलियुगमें धर्मकी दुःसाध्यता .... विषयी तपस्वियोंकी संगतिका निषेध .... ..... . . . . १२९-१२ १३०-१८ १३२-२१ १३३-२१ १३९-१७ १३७-१७ १३९-१६ १४१-२३ १४३-७ १४४-१६ १४८-७ १५१-११ ... १५२-२० ....
SR No.022323
Book TitleAatmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Shastri
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1916
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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