SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूरीश्वरजी महाराजाने हुं केम भूली शकुं ? कारण के-जेओनी अस्सीम कृपा-करुणाष्टिना योगे मारा जेवो अल्प-दीन-साधारण पण आजे श्रीवीतराग परमात्माना धर्ममार्गे खोडातो खोडातो पण गति करी रह्यो छे. शक्तिमूजव जे कांइ, दर्शन-ज्ञान-चारित्ररुप-रत्नत्रयीनी आराधना मारा जीवनमां थती होय तो ते सघलोये प्रभाव अकारणवत्सल ते परमोपकारी गुरुदेवोनो छे. प्रान्ते-प्रेसदोष के अज्ञान-प्रमादजन्य जे कांइ स्खलनाओ आ ग्रन्थमा रहेवा पाभी होय तेनुं परिमार्जन करी, स्वाध्यायरत वाचकवर्ग, पूर्वकालीन श्रुतस्थविर महापुरुषोनी आ स्वाध्याय कृतिओना वाचन-मनन-परिशीलरूप स्वाध्यायपाठथी ध्यानना अनलनी चीणगारीओने प्रकटावो अने दुष्कृत-कर्ममलना पूंजने प्रजाळो-एज अभिलाषा. वीरसं.२४६६, वि.सं. १९९६ फाल्गुन शुक्ला-पंचमी, ता. १४-३-४० गुरुवार अंधेरी-मर्जबान रॉड मुनि कनकविजय
SR No.022310
Book TitleSwadhyay Dohanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvijay Muni
PublisherVijaydansuri Granthmala
Publication Year1940
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy