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________________ १७ م साहा । ... ... ... . ... ३८८ . to و ... ३९१ ३९१: विषय पत्र शील पाहुड। महावीर स्वामीको नमस्कार और शीलपाहुड लिखनेकी प्रतिज्ञा ... ३८३ शील और ज्ञान परस्पर विरोध रहित हैं। शीलके विना ज्ञान भी नहीं। ३८४ ज्ञान होनेपर भी ज्ञान भावना विषय विरक्ति उत्तरोत्तर कठिन है ... ३८६ जबतक विषयोंमें प्रवृत्ति नहीं तबतक ज्ञान नहीं तथा कर्मोंका नाश भी नहीं। ... कैसा आचरण निरर्थक है।... ... ३८७. महाफलका देनेवाला कैसा आचरण होता है। ... कैसे हुए संसारमें भ्रमें हैं। ... ... ३८८ ज्ञानप्राप्ति पूर्वक कैसे आचरण संसारका नाश करते ... ३८९ ज्ञानद्वारा शुद्धिमें सुवर्णका दृष्टान्त । ... ... ३८९ विषयोंमें आसक्ति किस दोषसे है। ... निर्वाण कैसे होती है। ... ... नियमसे मोक्षप्राप्ति किसके है। ... किनका ज्ञान निरर्थक है कैसे पुरुष आराधना रहित होते हैं ।... किनका मनुष्यजन्म निरर्थक है। ... शास्त्रोंका ज्ञान होने पर भी शील ही उत्तम है। शील मंडित देवोंके भी प्रिय होते हैं। मनुष्यत्व किनका सुजीवित है। ... शीलका परिवार। ... ... तपादिक सव शीलही है । ... ... विषयरूपी विष ही प्रबल विष है। ... विषयासक्त हुआ किस फलको प्राप्त होता है। ... शीलवान् तुषके समान विषयोंका त्याग करता है। अंगके सुंदर अवयवोंसे भी शील ही सुंदर है। ... ४००. मूढ तथा विषयी संसारमेंही भ्रमण करें हैं। ... ... ४०१ कर्मबंध कर्मनाशक गुण सब गुणोंकी शोभा शीलसे है। मोक्षका शोध करनेवालेही शोध्य हैं। ... ... ... ३९२ س m س m . :: :: :: :::::::: m ه m م م m . m م . m m ..... m m .. x x . x ० ४०३.
SR No.022304
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychandra Chhavda
PublisherAnantkirti Granthmala Samiti
Publication Year
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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