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विषय
सागारसंयमचरणका कथन । पंच अणुव्रतका स्वरूप । तीन गुण व्रतोंका स्वरूप । शिक्षाव्रतके चार भेद । यतिधर्मप्रतिपादनकी प्रतिज्ञा । यतिधर्मकी सामिग्री । पंचेन्द्रियसंवरणका स्वरूप ।
पांचव्रतों का स्वरूप ।
पंचवतोंको महाव्रत संज्ञा किस कारणसे है ।
अहिंसाव्रतकी पांच भावना ।
सत्यत्रतकी ५ भावना । अचौर्यव्रतकी भावना | ब्रह्मचर्यकी भावना | अपरिग्रह - महाव्रतकी ५ भावना । संयमशुद्धिकी कारण पंच समिति । ज्ञानका लक्षण तथा आत्माही ज्ञान स्वरूप है । मोक्षमार्गस्वरूप श्रेष्ठ ज्ञानीका लक्षण । परमश्रद्धापूर्वक - रत्नत्रयका ज्ञाताही मोक्षका भागी है । निश्चय चारित्ररूप ज्ञानके धारक सिद्ध होते हैं । ... इष्ट अनिष्ट के साधक गुणदोषका ज्ञान श्रेष्ठ ज्ञानसेही होता है सम्यग्ज्ञान सहित चारित्रका धारक शीघ्र ही अनुपम सुखको प्राप्त होता है । संक्षेपतासे चारित्रका कथन । चारित्र पाहुडकी भावनाका फल तथा भावनाका उपदेश ।... बोध पाहुड आचार्यकी स्तुति और ग्रंथ करनेकी प्रतिज्ञा । आयतन आदि ११ स्थलोंके नाम ।
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आयतनत्रयका लक्षण । • टीकाकारकृत आयतनका अर्थ तथा इनसे विपरीत अन्यमत
स्वीकृतका निषेध |
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