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________________ १०० १०१ १०६ १०७ ११३ १३६ १५४ चौथा विनय द्वार - श्रेणिक राजा की कथा ..... पांचवा समाधि द्वार नमि राजर्षि की कथा छटा मन का अनुशास्ति द्वार वसुदत्त की कथा सातवां अनियत विहार द्वार दुर्गता नारी की कथा १३० अनियत विहार से गृहस्थ साधु के साधारण गुण १३२ सेलक सूरि की कथा १३४ आठवाँ राजा के अनियत विहार की विधि द्वार साधु को वसति देने का लाभ १३८ कुरुचन्द्र की कथा १४३ नौवां परिणाम द्वार इसभव और परभव का हित चिन्तन १५४ श्रावक की भावना १५४ दूसरा पुत्र को अनुशास्ति द्वार १५७ वज्र और केसरी की कथा १५६ तीसरा कालक्षेप द्वार १६४ .. पौषधशाला कैसी और कहाँ करानी ? १६४ श्रावक की ग्यारह प्रतिमाए १६५ दर्शन प्रतिमा का स्वरूप १६५ अंध की कथा १६८ व्रत प्रतिमा का स्वरूप १६६ सामायिक प्रतिमा १६६ पौषध प्रतिमा, प्रतिमा-प्रतिमा अब्रह्मवर्जन प्रतिमा तथा सचित त्याग प्रतिमा १७० आरम्भ वर्जन प्रतिमा, प्रेष्य वर्जन प्रतिमा, उहिष्ट वर्जन प्रतिमा और श्रमणभूत प्रतिमा १७१ साधारण द्रव्य खर्च के दस स्थान १७२ जैनमंदिर द्वार १७२ जैन बिम्ब द्वार १७४ पूजा द्वार १७४ आगम पुस्तक द्वार १७५ साधु द्वार १७६ साध्वी द्वार १७७ श्रावक द्वार १७८ श्राविका द्वार १७८ सार्मिक के प्रति व्यवहार १७८ पौषधशाला द्वार १७६ दर्शन कार्य द्वार १८० पुत्र प्रतिबोध द्वार १८२ सुस्थित घटना द्वार १८५ आलोचना द्वार १८८ काल परिज्ञान द्वार १६० मृत्यु जानने के ग्यारह उपाय १६० देवता द्वार १६० राकुन द्वार १६१ उपश्रुति द्वार १६२ छाया द्वार १६३ नाडी द्वार १६४ निमित्त द्वार १६६ ज्योतिष द्वार १६७ स्वप्न द्वार १९८ रिष्ट द्वार २०० यन्त्र द्वार २०५ विद्याद्वार २०५ अणसण प्रतिपति द्वार २०६
SR No.022301
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmvijay
PublisherNIrgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1986
Total Pages648
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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