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________________ विषयानुक्रमणिका मंगला चरण संसार अटवी में धर्म की दुर्लयता धर्म के अधिकारी संवेग की महीमा ग्रन्थ की महीमा ग्रन्थ का हेतु महासेन राजा की कथा वीर प्रभु का उपदेश ३१ विष की परीक्षा ३४ रानी के उपदेश ३७ प्रभु की हित शिक्षा ३६ ज्ञान की सामान्य आराधना ४१ दर्शन की सामान्य आराधना ४२ चारित्र की सामान्य आराधना ४२ तप की साधारण आराधना ४३ सामान्य और विशेष आराधना का स्वरूप ४४ मधुराजा का प्रबन्ध ४५ सुकौशक मुनि की कथा ४६ विस्तृत आराधना का स्वरूप ४८ मरुदेवा माता की कथा ४६ क्षुलक मुनि की कथा ५१ प्रथम मूल परिक्रम द्वार उसमें प्रथम अर्ह द्वार क चूल की कथा ५७ दूसरा लिंग द्वार चिलाती पुत्र की कथा ७३ आराधक गृहस्थ का लिंग ७७ साधु के लिंग ७७ मुहपति आदि का प्रयोजन ७७ लोच से लाभ ७८ गृहस्थ साधु के सामान्य लिंग ७८ कुलबालक मुनि की कथा ७६ तीसरा शिक्षा द्वार और उसके भेद श्रुतज्ञान का लाभ ८४ इन्द्रदत्त के अज्ञपुत्र और सुरेन्द्रदत्त की कथा ८६ आसेवन शिक्षा का वर्णन ६० ज्ञान क्रिया का परस्पर सापेक्ष उपादेयता ९९ मगु आचार्य की कथा ६२ अंगार मर्रक आचार्य की कथा ६३ ग्रहण आसेवन शिक्षा के भेद ९४ साधु और गृहस्थ का सामान्य आचार धर्म ६५ गृहस्थ का विशिष्ट आचार्य धर्म ह६ साधु का विशिष्ट आचार धर्म Re : : ... ४ ५ ७ ६ ५४ ५५ ... ७६ ८४
SR No.022301
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmvijay
PublisherNIrgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1986
Total Pages648
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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