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________________ ~ १३९ १४० M.OM ~ ~ ~ ~ [१४] ब्राह्मा, विष्णू, महादेव कौन हैं ? दीन कौन है ? आत्माका निवास कहां है ? देवकी मुख्यता कहां है ? पुण्यका फल रत्नत्रय रहितकी शोभा नहीं है धर्मानुराग का फल आर्य पुरुषोंक. कारण कैसा जीव नरक जाता है ? कैसा जीव तिर्यंच गति में जाता है ! कैसा जीव मनुष्य होता है ? स्वर्ग में कौन जाता है ! मोक्ष में कौन जाता है ? सुपात्रदान का फल सम्यग्दृष्टी धर्मका त्याग करता है वा नहीं ? आत्मज्ञानरहित कौन से अकार्य करते हैं ? सम्यक्त्य और मिथ्यात्व कैसे हैं ? .... सम्यग्दृष्टी और मिथ्यादृष्टी की प्रवृत्ति सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्रका लक्षण कौन किसका हित अहित नहीं जानते ? देव, धर्म, गुरुकी निंदा का फल .... मनुष्य जन्म पाकर क्या करना चाहिये ? आत्मज्ञानरहित कहां भ्रमण करता है ? .... १५७ १५९ ~ ~ ~ Yur ur ar 955 ~ ~ १६९ ..... १७१ ..... १७५ ..... १७९ .... १८१
SR No.022288
Book TitleBodhamrutsar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar
PublisherAmthalal Sakalchandji Pethapur
Publication Year1937
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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