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________________ प्र....का....श....क....त ...र....फ....थी.... देवगुरुकृपाए स्वनामधन्य आगममर्मज्ञ आगमसम्राट् पू. आगमोद्धारक. स्व. आचार्यदेवश्रीना नामथी संकळा येली अमारी संस्था तरफथी वात्सल्यसिंधु पू. गच्छाधिपति आचार्यदेव श्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजीनी देखरेखतळे पू. आगमोद्धारकश्रीए अप्रतिम प्रतिभावळे संस्कृतप्राकृत-गुजराती-हिंदीमां रचेल विविध नानी-मोटी कृतिओ प्रकाशित करवानुं सौभाग्य मळ्यु छे, जे अमारे मन खूब आनंदनी वात छे. वि. सं. २०१०मां पू. आगमोद्धारकश्रीना शिष्यरत्न पू. विद्वदरत्न गणिवर्यश्री सूर्योदयसागरजी म.नी प्रेरणाथी आ संस्था गतिशील बनी छे, पण आज सुधीमा प्रकाशित सघळा ग्रंथो करतां सापेक्ष रीते एम कहेवानी धृष्टता अमे करीए छीए के "प्रस्तुत “आनंदरत्नाकर" ग्रंथ सौथी विशिष्ट छे." केमके पू. भागमोद्धारकश्रीनी अथाग विद्वत्ता प्रौढ प्रतिभा भने विषयोने संक्षेपवानी उदात्त नीति आ ग्रंथमां संग्रहायेली विशालकाय प्रस्तावनामोमां स्पष्ट रीते झळके छे. पूज्य गणिवर्यश्री सूर्योदयसागरजी म.नी प्रेरणाथी पूज्य शासनसुभट संघसमाधितत्पर शासनसंरक्षक तपस्वी उपाध्याय श्री धर्मसागरजी म. गणिवरना शिष्य पू. मुनि श्री अभयसागरजी म.गणीप खब खंतथी प्रयत्न करी प. आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री ए प्रौढ संस्कृत भाषामा ८२ ग्रन्थोनी टखेलो प्रस्तावनाओन व्यवस्थित संपादन भने कठिन शब्दोना अर्थ, अन्वयनी संगति मादि माटे "आनंदलहरी" नामे सुंदर टिप्पण लखीने पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्रीनी सर्वतोमुखी प्रतिभाना अंतरंग दर्शन अल्पबोधवाळा संस्कृत भाषाना सामान्य ज्ञानवाळा जिज्ञासुमो पण करी शके तेवी सरळता करी आपी छे. - ते बदल अमे पूज्य महाराजश्रीनी श्रुतभक्तिनी हार्दिक वंदना साथे अनुमोदन करोए छोए. मा बहुमूल्य ग्रंथना प्रकाशन माटे आर्थिक दृष्टिए अमोने निश्चित बनावनार धर्मप्रेमी ते ते महानुभावोने उपदेश-प्रेरणा आपो प्रकाशन कार्य संबंधी आर्थिक सरळता माटे पुनित प्रेरणा आपनार पू. आगमोद्धारकश्रीना सर्वप्रथम शिष्यरत्न पू. स्व. पं. श्री विजयसागरजी म. गणीना शिण्य रत्न___प्रौढ पुण्यप्रतापी, शासनप्रभावक, कपडवंज, लुणावाडा, महीदपुरना प्राचीन जीर्ण मंदीरोना जीर्णोद्धार करावनार
SR No.022268
Book TitleAnand Ratnakar Anand Lahri Tippani Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryodaysagar Gani
PublisherAgamoddharak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages188
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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