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________________ प्रकाशकीय निवेदन | प० पू० गच्छाधिपति आ० श्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजी महाराज आदि ठाणां वि० सं० २०१० ना वर्षे कपडवंज शहेरमां मीठाभाइ गुलालचंदना उपाश्रये चातुर्मास बीराज्या हता, आ अवसरे ते ओश्रीना पवित्र आशीर्वादे आगमोद्धारक -ग्रंथमालानी स्थापना थली हती, आ ग्रंथमालाए त्यारबाद प्रकाशनोनी प्रगति ठीक ठीक क़री छे । तेश्रीनी पुण्यकृपाए आ 'धर्मसागर ग्रंथ संग्रह' नामनं पुस्तक आगमोद्धारक ग्रंथमालाना १८ मा रत्नतरीके प्रगट करतां अमोने बहु आनन्द थाय छे । आमां त्रण कृतिओ छे, तेमां षोडशश्लोकीनी प्रेसकोपी स्वर्गस्थ गणिवर्य श्री चंदनसागरजी महाराजजीए करेली छे अने महावीरविज्ञप्ति द्वात्रिंशिका अने महावीर जिनस्तोत्रनी प्रेसकोपी मुनिवर्य श्री लाभसागरमहाराजजीए करेली छे, अने आ पुस्तकनं संशोधन पू० गच्छाधिपति आ० श्री माणिक्य सागरसूरिजीनी पवित्रदृष्टि नीचे तेओश्रीए कयुं छे । ते बदल तेजश्रीने वंदन करु ं छु। अने जेओए द्रव्य तथा प्रतिओ आपवा विगेरे द्वारा सहाय करी छे, तेओनो उपकार मानुं छु । 1 लि० रमनलाल जयचन्द
SR No.022253
Book TitleDharmsagar Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherMithabhai Kalyanchand Pedhi
Publication Year1962
Total Pages168
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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